कोर्ट में प्रस्तुत होने के बाद किस कानून के तहत मामलों में समझौते होते हैं - CrPC 1973

अगर न्यायालय को लगता है कि दोनों पक्षकार अर्थात पीड़ित और आरोपी बिना किसी दबाव के आपराधिक मामले में समझौता करने को स्वेच्छा से तैयार है, तब मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट (चार्जशीट) के मामले में एवं परिवाद के मामले में किस प्रकार समझौते का निपटारा करेगा जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 265 (ग) की परिभाषा

1. पुलिस रिपोर्ट (चार्जशीट, एफआईआर) के मामले में:-
• न्यायालय, लोक अभियोजक, अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी, आरोपी एवं पीड़ित व्यक्ति को उस मामले का शांतिपूर्वक निपटारे करने के लिए बैठक में भाग लेने के लिए सूचना जारी करेगा। अगर आरोपी व्यक्ति चाहता है कि वह इस बैठक में उसके वकील (अधिवक्ता) को रखना चाहता है, तब वकील भी बैठक में भाग ले सकता है।

2. परिवाद मामलों में समझौता प्रक्रिया:-
• न्यायालय, आरोपी एवं परिवादी  को मामले को शांतिपूर्वक निपटाने के लिए बैठक हेतु सूचना भेजेगा। अगर आरोपी या परिवादी चाहते हैं कि वह इस समझौते की बैठक में अपने अधिवक्ता(वकील) भी भाग ले तब उन्हें इसकी अनुमति दी जाएगी।

नोट: - इस धारा के अंतर्गत बैठक की सूचना से पूर्व न्यायालय को यह जाँच करना आवश्यक होगा कि दोनों पक्षकार किसी के दबाव में समझौता तो नहीं कर रहे हैं अर्थात वह स्वेच्छा से बिना दबाव के समझौता कर रहे हैं। अगर दोनो में से कोई भी एक पक्षकार किसी दबाव में समझौता करता है, तब सौदेबाजी की प्रक्रिया बंद कर दी जाएगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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