भगवान शिव की आरती में शंख क्यों नहीं बजाते, हल्दी-कुमकुम का टीका क्यों नहीं लगाते- Amazing facts

Bhopal Samachar

Amazing facts in Hindi 

पृथ्वी पर सबसे ज्यादा भगवान शिव की पूजा होती है। कहते हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग ही पृथ्वी के संतुलन का आधार हैं। शिव भक्त जब शिवलिंग का श्रृंगार करते हैं तो त्रिपुंड लगाते हैं लेकिन हल्दी और कुमकुम का उपयोग नहीं करते। आरती में ढोल मंजीरे बजाए जाते हैं लेकिन शंख नहीं बजाते। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों नहीं किया जाता:- 

भगवान शिव को हल्दी और कुमकुम का टीका क्यों नहीं लगाते 

जब शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है तो हमेशा त्रिपुंड लगाया जाता है। एक खास किस्म का टीका जो एक साथ तीन उंगलियों से लगाया जाता है। सामान्यतः यह चंदन का होता है। कुछ अन्य भक्त अपनी श्रद्धा और सिद्धि के अनुसार अन्य सामग्री उपयोग करते हैं परंतु शिवलिंग के श्रृंगार में हल्दी और कुमकुम का उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि हल्दी और कुमकुम को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है और शिवलिंग पर सौभाग्य के प्रतीक अर्पित नहीं की जाते। 

भगवान शिव की आरती में शंख क्यों नहीं बजाते 

भगवान शिव की आरती में इस प्रकार के वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है जो ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। शंख की ध्वनि से उर्जा उत्पन्न होती है लेकिन भगवान शिव की आरती में शंख को वर्जित बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि शंख को भगवान विष्णु ने धारण किया है। कहा यह भी जाता है कि भगवान ने शंखचूड़ नाम के एक असुर का वध किया था। इसलिए उनकी आरती में शंख नहीं बजाया जाता। 
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!