अगर कोई लोकसेवक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा 7 (रिश्वत के अपराध में दोषी पाया गया था) या धारा 11 (कार्यवाही करने के बदले में घूस की मांग की थी) या धारा 12 (किसी को रिश्वत,घूस के लिए उकसाया था) या धारा 13 (कोई भी शासकीय संपत्ति का बेईमानी से गबन कर लिया था) या कोई ऐसा भी व्यक्ति जो किसी लोकसेवक को रिश्वत देने के अपराध के दोषी ठहराया गया था और पुनः वही अपराध दोबारा करता तब क्या दोबारा उसी धारा के अंतर्गत कार्यवाही होगी या वही सजा होगी जानिए।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा 14 की परिभाषा
अगर कोई लोकसेवक या कोई व्यक्ति दूसरी बात रिश्वत लेते हुए या घूस लेते हुए या रिश्वत का दुष्परेण करते हुए या किसी शासकीय पैसों का दूसरी बात गबन करते हुए दोषी पाया जाता है तब ऐसे व्यक्ति या लोकसेवक को अधिनियम की धारा 14 के अंतर्गत दोषी ठहराया जाएगा।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा-14 दंड का प्रावधान
यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होंगे,इनकी सुनवाई राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी विशेष न्यायाधीश द्वारा होगी। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम दस वर्षों की कारावास एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
उधानुसार:- अगर कोई राजस्व अधिकारी 5 हजार की रिश्वत के लिए दण्डित(धारा 7 के अनुसार) किया जा चुका था, और उसके बाद फिर से नौकरी में आने के बाद पुनः किसी काम के लिए दो हजार रुपए की रिश्वत लेता है तब उसको धारा 14 के अंतर्गत दोषी ठहराया जाएगा न की अधिनियम की धारा 7 के अंतर्गत। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665