ग्वालियर। यह अपने आप में अनूठा मामला है। योग्य एवं विद्वान डॉ दिव्यानी अहरवाल ने मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा 2021 में भाग लिया जबकि उनके पास अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता नहीं थी। परीक्षा पास करने के बाद नियुक्ति पत्र मिलते ही डॉक्टर देवयानी ने 1 साल की छुट्टी मांगी ताकि शैक्षणिक योग्यता प्राप्त कर सके। डिपार्टमेंट ने छुट्टी नामंजूर कर दी तो हाईकोर्ट में याचिका लगाई परंतु उच्च न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली।
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2021 में चिकित्सा अधिकारी की भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। दिव्यानी अहरवाल ने परीक्षा पास की। परीक्षा पास करने के बाद दिव्यानी ने आवेदन दिया कि उसे वर्ष 2023 तक का समय दिया जाए, जिससे उसकी पोस्ट ग्रेजुएशन हो जाए। आयुक्त स्वास्थ्य संचनालय ने दिव्यानी के आवेदन को खारिज कर दिया। प्रदेश में चिकित्सकों की कमी है। ऐसी स्थिति में ज्यादा दिनों तक पद खाली नहीं रखा जा सकता है।
दिव्यानी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उसकी ओर से तर्क दिया गया कि चिकित्सा अधिकारी की परीक्षा पास की है। उसे अपनी पीजी की पढ़ाई पूरी करना है। ऐसी स्थिति में उसे 2023 तक की छूट दी जाए। पीजी पूरी होने के बाद नौकरी ज्वाइन कर सकती हैं। राज्य लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता रवींद्र दीक्षित ने तर्क दिया कि 2022 तक पीजी की डिग्री पूरी होना चाहिए।
साथ ही चिकित्सकों की काफी कमी है। ऐसी स्थिति में पद को लंबे समय तक खाली नहीं रखा जा सकता है। आयुक्त ने याचिकाकर्ता के आवेदन को खारिज करने में कोई गलती नहीं की है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी।