जबलपुर। कोरोना काल में आवश्यकता के समय जिन आयुष मेडिकल अधिकारियों को शासकीय अस्पतालों में नियुक्त किया गया था, अब सरकार ने फंड की कमी बताते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं। हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करके शासन से सवाल किया है कि आखिर ऐसा क्यों किया।शासन द्वारा उठाया गया यह कदम समझदारी वाला प्रतीत नहीं हो रहा है।
न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अंतरिम राहत के तहत आगामी सुनवाई तक याचिकाकर्ताओं को सेवा जारी रखने के निर्देश दिए। मामले पर अगली सुनवाई 13 अप्रैल को निर्धारित की गई है। पन्ना निवासी डा. भास्कर द्विवेदी समेत आयुष अधिकारियों ने याचिका दायर बताया कि वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान जरूरत के चलते उन्हें नियुक्ति दी गई थी।
तब से अभी तक वे कार्य कर रहे हैं। इस बीच उन्होंने जान पर खेलकर लोगों की सेवा की। नियुक्ति के समय जो कर्तव्य निर्धारित नहीं थे, शासन के हित में वह भी निभाए। कभी किसी काम के लिए मना नहीं किया। 28 मार्च, 2022 को विभाग के अधिकारी द्वारा यह कहते हुए सेवा समाप्त कर दी गईं कि सरकार के पास पर्याप्त फंड नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विजय कुमार शुक्ला ने पैरवी की। कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP karmchari news पर क्लिक करें.