इंदौर। मध्य प्रदेश कांग्रेस में हुए जीतू पटवारी कांड के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं। विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारी कर रहे भाजपा के स्ट्रेटजिस्ट के सामने एक नई अपॉर्चुनिटी आ गई। विचार मंथन शुरू हो गया है। जीतू पटवारी से फायदा और नुकसान का आकलन किया जा रहा है। फिलहाल इस प्लान में सब का फायदा नजर आ रहा है, लेकिन दोनों पक्षों की तरफ से सैद्धांतिक सहमति अभी तक नहीं हुई है।
भाजपा को जीतू पटवारी के फायदे
इंदौर जिले में कुल 9 विधानसभा हैं। इंदौर 1 से लेकर इंदौर 4 तक भाजपा की मजबूत स्थिति मानी जा सकती है। इंदौर 5 चुनौतीपूर्ण है। सांवेर सीट तुलसी सिलावट के भाजपा में आ जाने के कारण सुरक्षित हो गई है। महू में उषा ठाकुर की स्थिति मजबूत है। देपालपुर और राऊ विधानसभा सीट पर भाजपा की स्थिति कमजोर है। जीतू पटवारी के रहते भाजपा को राऊ विधानसभा सीट पर इस बार में मुश्किल होगी क्योंकि जीतू पटवारी पार्टी के टिकट पर नामांकन फॉर्म तो भरते हैं लेकिन चुनाव प्रचार में पार्टियों को अलग करके व्यक्तिगत पहचान को आगे कर देते। यानी कि चुनाव कोई पार्टी नहीं बल्कि जीतू पटवारी जीतते हैं। ऐसी स्थिति में यदि जीतू पटवारी भाजपा के साथ आ जाते हैं तो इसका मतलब होता है कि एक विधानसभा सीट पक्की है।
भाजपा में जीतू पटवारी के नुकसान
जीतू पटवारी एक महत्वाकांक्षी नेता है। कांग्रेस पार्टी में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से अच्छे रिश्ते बनाने की कोशिश करते हैं परंतु यदि भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए तो उन्हीं नेताओं के साथ रिश्ते कितने अच्छे रह पाएंगे, इस सवाल का जवाब मुश्किल है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जीतू पटवारी के पुराने संपर्क रहे हैं। इसलिए जीतू पटवारी के आ जाने से ज्योतिरादित्य सिंधिया मजबूत होंगे। इंदौर में महाराज के साथ पटवारी के संबंध शायद तुलसी सिलावट को पसंद ना आए, और भी ऐसी कई सारी संभावनाएं हैं। कुल मिलाकर जीतू पटवारी भाजपा के लिए फायदेमंद तो हैं परंतु भाजपा के दिग्गज नेताओं की NOC थोड़ी मुश्किल है। इंदौर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया indore news पर क्लिक करें.