वर्तमान समय में हम देखते हैं कि बहुत से फर्जी व्यक्ति या अनजान व्यक्ति अपनी स्वंय की प्रोफ़ाइल आईडी या मोबाइल, कम्प्यूटर, से व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि पर अश्लीलता फैलाने वाली कोई पोस्ट को अपलोड यानि पब्लिश करते हैं या कोई फ़ोटो, वीडियो आदि को अपलोड कर शेयर करते हैं, तब ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ आप थाने में किस कानून के अंतर्गत डारेक्ट एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं जानिए।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 की परिभाषा:-
कोई भी व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक रुप से सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट, फ़ोटो, वीडियो, आडियो को शेयर करेगा या प्रकाशित करेगा जिससे की व्यक्ति के अन्दर कलुषित (गंदी) भावना उत्पन्न हो, जो लोगों को अपनी मर्यादा भंग करने के लिए प्रेरित करता हो, जिसे आपत्तिजनक माना जाएगा। तब ऐसा करने वाला कोई भी व्यक्ति उपर्युक्त धारा 67 के अंतर्गत दोषी होगा ।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 (ग) के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
यह अपराध समझोता योग्य नही है यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध हैं, अपराध का विचारण प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाएगा। अधिनियम के अनुसार अपराध का इन्वेस्टिगेशन करने की शक्ति निरीक्षक (इंस्पेक्टर) की नीचे की पक्ति के पुलिस अधिकारी को नहीं हैं।
सजा- इस अपराध के लिए इस प्रकार के प्रथम बार दोषसिद्धि पर तीन वर्ष की कारावास एवं पाँच लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है।
• दूसरी बार दोषसिद्धि पर पाँच वर्ष की कारावास और दस लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
नोट:- IPC की धारा 292 (अश्लील सामग्री को प्रकाशित करना या बेचना अपराध का इस धारा पर कोई प्रभाव नहीं होगा क्योंकि यह एक विशेष विधि हैं जो इलैक्ट्रोनिक साधन द्वारा फैलाए जा रहे अपराध को नियंत्रण करती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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