ज्यादातर चीजें 100 अंक पर पूरी मानी जाती है। 100 का एक अर्थ 100% भी होता है। यानी कि कंप्लीट, पूरा, कुछ भी शेष नहीं। तो सवाल यह है कि एक वृत्त (circle) 360 डिग्री पर पूरा क्यों माना जाता है। 100% की तरह इसे भी 100 डिग्री क्यों नहीं माना जाता है। आइए पता लगाते हैं:-
इस प्रश्न का जवाब बहुत सारे विशेषज्ञों ने दिया है परंतु ज्यादातर लोगों ने अपने अनुमान के आधार पर उत्तर देने का प्रयास किया है। किसी ने कहा कि एक समकोण 90 डिग्री का होता है इसलिए चार समकोण मिलाकर एक वृत्त 360 डिग्री, तो किसी ने कहा कि यही परंपरा है। परंपराओं पर सवाल नहीं उठाते, लेकिन अपन को लॉजिक भी चाहिए और प्रमाण भी। इसलिए अपनी रिसर्च ऋग्वेद पर जाकर रुकी।
द्वादश प्रधयश्चक़मेकं त्रीणि नभ्यानी क उतच्चिकेत।
तस्मिन् त्सांक त्रिशता न शंकवोsप्रिता: षप्टिर्न चलाचलाश:।।
ऋग्वेद १-१६४-४८ में लिखा है कि पृथ्वी द्वारा सूर्य का एक चक्र पूरा करने पर एक वर्ष निर्धारित करते हैं। जिसमें तीन तीन ऋतुओं की अवधि पूरी होगी और फिर नवीन वर्ष चक्र प्रारंभ होगा। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूर्ण करने में 360 दिवस का समय लगा। इसलिए एक चक्र 360 का निर्धारित किया गया। यही कारण है कि एक सर्किल 360 डिग्री का होता है। इसी कैलकुलेशन के कारण तो 1 घंटे में 60 मिनट और 1 मिनट में 60 सेकंड होते हैं। जबकि 1 दिन में 60 घंटे नहीं होते।
यह पृथ्वी पर चारों वेद प्रकट हुए तब यह निर्धारण किया गया था। कालचक्र के परिवर्तन के कारण वर्तमान में पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 से ज्यादा दिन का समय लगता है। कुछ हजार सालों बाद 1 वर्ष में 366 दिन हो जाएंगे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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