BHOPAL HISTORY- सिकंदर बेगम की गद्दारी और 356 देशभक्त सैनिकों की सामूहिक शहादत की कहानी

जब-जब भारत के स्वतंत्रता संग्राम का जिक्र होगा तब-तक गद्दारी और देशद्रोह के लिए भोपाल के नवाब परिवार की कहानी जरूर सुनाई जाएगी। यह कहानी सन 1857 में भोपाल की नवाब बेगम सुल्तान शाह जहान और उनकी मां सिकंदर बेगम की गद्दारी के कारण 356 देशभक्त सैनिकों की सामूहिक शहादत की कहानी है। जिसे सीहोर की शहादत के नाम से जाना जाता है। जो दिनांक 15 जनवरी 1858 को शाम 6:00 बजे हुई।

भोपाल गजेटियर में 149 क्रांतिकारियों के सामूहिक नरसंहार के प्रमाण मिलते हैं परंतु सीहोर के बुजुर्ग बताते हैं कि कर्नल हयूरोज ने कोर्ट के 149 के आदेश के पालन में 356 क्रांतिकारी सैनिकों का सामूहिक नरसंहार कर दिया था। बात सन 57 की क्रांति की है। जब इसकी खबर इंदौर पहुंची तो इंदौर में मौजूद अंग्रेज अधिकारी घबरा गए। उस समय सीहोर में अंग्रेजी सेना का कॉन्टिन्जेण्ट था। सीहोर से इंदौर सैनिक मदद भेजी गई। दिनांक 1 जुलाई 1857 को इंदौर में सैनिक विद्रोह हो गया और अंग्रेज अधिकारी जान बचाकर भोपाल की तरफ भागे। 

उस समय मौलवी, भोपाल के सैनिक और परिवार के लोगों ने भी भोपाल की नवाब सिकंदर बेगम को समझाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन सिकंदर बेगम ने किसी की बात नहीं मानी। इंदौर से दुम दबाकर भागे कर्नल ड्यूरेन्ड को अपने संरक्षण में लेकर खुद होशंगाबाद तक छोड़ने गई। अंग्रेजों के प्रति वफादारी साबित करने के लिए सिकंदर बेगम ने सारी सीमाएं लांग दी थी। 

सिकंदर बेगम ने सन 1857 में स्वतंत्र हो चुके इंदौर और सीहोर को फिर से अंग्रेजों का गुलाम बनाने के लिए पूरी ताकत लगा दी। कालपी तक अंग्रेजों को अनाज और चार आ भी जा। सागर और बुंदेलखंड में अंग्रेजों को सैनिक सहायता भेज कर 57 की क्रांति को कमजोर किया। अंबापानी के जागीरदार फाजिल मुहम्मद खान तथा आदिल मुहम्मद खान पर जिन्होंने विद्रोह कर दिया था, बेगम द्वारा तुरन्त हमला किया गया और उनकी सारी संपत्ति छीन ली। राहतगढ़ के किलेदार को इसलिए सूली पर चढ़ा दिया क्योंकि उसने अंग्रेजों को शरण देने से मना कर दिया था। सीहोर में सैकड़ों क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर दिया। ताकि सीहोर को फिर से अंग्रेजों के अधीन सौंपा जा सके। 

भोपाल की सिकंदर बेगम के कारण सीहोर फिर से अंग्रेजों के अधीन हो गया। दिनांक 15 जनवरी 1858 में सीहोर के 149 क्रांतिकारियों को कोर्ट द्वारा मौत की सजा सुनाई दी गई। इसका फायदा उठाते हुए इंदौर से आए डरपोक कर्नल हयूरोज ने जेल में बंद उनके साथियों सहित कुल 356 सैनिकों को एक लाइन में खड़ा करके गोली मार दी। इसी घटना को इतिहास में सीहोर की शहादत कहा जाता है। जिसमें भोपाल की सिकंदर बेगम की गद्दारी का विस्तार से विवरण लिखा हुआ है।

अंग्रेजी शासन ने जब सिकंदर बेगम से वफादारी के बदले इनाम मांगने को कहा तो उन्होंने अपनी ही बेटी बेगम सुल्तान शाहजहां को भोपाल के नवाब के पद से हटाकर खुद शासक बनने की इल्तजा की। अंग्रेजी शासन ने 3 मार्च 1860 को उन्हें भोपाल का शासक बना दिया। भोपाल की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया bhopal news पर क्लिक करें.
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