कल ही तो पढ़ा था, हेलीकॉप्टर मुड़ता कैसे है और आज दुखद खबर आ गई- प्रसंगवश

डॉ प्रवेश सिंह भदौरिया।
एक दिन पूर्व "भोपाल समाचार डॉट कॉम" पर "हेलिकॉप्टर मुड़ता कैसे है" शीर्षक से जानकारी मिली थी कि हेलिकॉप्टर जो दिखने में आसानी से उड़ने वाला लगता है लेकिन असल में यह जटिलताओं से भरा है। पायलट को पूर्व से ही अंदाजा लगाना होता है कि कब लैंडिंग करना है और कब मुड़ने की प्रक्रिया शुरू कर देना है। 

आज भारत के लिए एक दुखद दिन है जिसमें असल में इन्हीं जटिलताओं के कारण एक अप्रत्याशित हादसा हुआ है। कुछ समाचारों के अनुसार उक्त खबर पर बात किया जाना निषेध है। अतः इस खबर को पूर्ण सम्मान दिया जाना चाहिए। हालांकि कुछ खबरिया चैनल "ब्रेकिंग" की अंधाधुंध दौड़ के कारण अनावश्यक तस्वीरें भी प्रदर्शित करने से नहीं हिचक रहे हैं। कुछ तो रिश्तेदारों को घेरकर भविष्य की योजनाओं की जानकारी दिए जा रहे हैं। 

ऐसे समय जब टीवी चैनलों को थोड़ा संवेदनशील होना चाहिए लेकिन वे बाजार में स्वयं को नीलाम होने जैसा व्यवहार कर रहे हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर प्रिंट मीडिया एवं डिजिटल मीडिया ने अभी तक इसमें संवेदनशीलता और भारत की संप्रभुता की रक्षा जैसा व्यवहार किया है। जो काबिले-तारीफ है। 

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