जब कोई पुलिस अधिकारी किसी आरोपी को पूछताछ के लिए उसकी अभिरक्षा में लेती है या कोई आरोपी को अपराध के विचारण तक न्यायिक अभिरक्षा अर्थात जेल में बंदी बना कर रखा गया है ऐसे में किसी आरोपी या अपराधी की मृत्यु संदिग्ध तरीके से हो जाये तो इसकी जिम्मेदारी किसी होगी पुलिस प्रशासन, जेल प्रशासन या राज्य सरकार की होगी एवं मृतक के परिवार वाले आरोपी की मृत्यु का प्रतिकर (अर्थिक सहायता राशि) किससे प्राप्त करेगा जानिए:-
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण जजमेंट- निलबती बेहरा बनाम उड़ीसा राज्य:-
उक्त मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि पुलिस अभिरक्षा में गिरफ्तार व्यक्ति एवं जेल में बंद कैदियों की रक्षा करना राज्य का महत्वपूर्ण कर्तव्य है, यदि पुलिस अभिरक्षा या जेल में उसके मूल अधिकारों का राज्य या उसके सेवकों द्वारा उल्लंघन होता है तो राज्य सरकार को ऐसे नागरिक को प्रतिकर देना होगा।
प्रस्तुत मामले में आरोपी जो 22 वर्ष का व्यक्ति था जिसे पुलिस द्वारा किसी अपराध के अन्वेषण के संबंध में एक दिसम्बर 1987 को सुबह 8 बजे गिरफ्तार किया गया और थाने में बन्द कर दिया गया। आरोपी को हथकड़ी लगी हुई थी और पुलिस का एक सिपाही रात में उसके पहरे पर था। 2 दिसम्बर को उसकी हथकड़ी लगी हुई लाश जिस पर बहुत सी चोटें थी रेलवे लाइन के किनारे पड़ी पायी गई । मृतक की माँ ने न्यायालय को एक पत्र द्वारा पुलिस अभिरक्षा में अपने पुत्र की मृत्यु की सूचना दी एवं नुकसानी की मांग भी की।
उच्चतम न्यायालय ने महिला के पत्र को रिट याचिका मानकर पूरे मामले की जाँच करवाई जिसमें यह पाया गया कि मृतक की मृत्यु पुलिस के मारने-पीटने से हुई थी अतः उसकी माँ को मृतक पुत्र की उम्र ओर 1200 से 1500 रुपए की आय को ध्यान में रखते हुए 1,50,000 रुपए राज्य सरकार से दिलाया जाए। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com