ज्यादातर हम दो वारंट के बारे में जानते हैं एक जमानती वारंट और दूसरा गिरफ्तारी वारंट, लेकिन क्या आप जानते हैं जमानती, गैर जमानती और गिरफ्तारी वारंट के अलावा एक ब्लैक वारंट भी होता है। क्यों मृत्युदंड से दंडित किए गए व्यक्ति के लिए जारी किया जाता है। आइए इसके के बारे में जानते हैं।
ब्लैक वारंट दंड प्रक्रिया संहिता में फॉर्म क्रमांक- 42 की एक सूची का हिस्सा है, वैसे दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहीं पर भी इसकी परिभाषा नहीं दी गई है,लेकिन दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 413 एवं 414 में बताया गया है कि जब सेशन कोर्ट किसी व्यक्ति को मृत्यु दण्ड देता है तब उच्च न्यायालय ऐसे मामले के साक्ष्य एकत्रित करके पुनः जाँच करवा सकता है, अगर अपराधी के अपराध के संबंध में दिए गए साक्ष्य सही या ठोस पाए जाते है तब उच्च न्यायालय सेशन कोर्ट को मृत्यु-दण्ड को सही मानकर एक आदेश जारी करता है।
ब्लैक वारण्ट कब और किसे जारी किया जाता है जानिए:-
सेशन न्यायालय, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ब्लैक वारंट उस जेल प्रभारी या जेल अधीक्षक को संबोधित करते हुए भेजेगा, जहां पर दोषी कैदी को रखा गया है। ब्लैक वारंट में कोर्ट की ओर से दी गई मौत की सजा की पुष्टि भी होती है एवं ब्लैक वारंट में दोषी का नाम दर्ज होता है जिसे मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई गई है और यह भी लिखा होता है कि दोषी को 'तब तक फांसी के फंदे पर लटका कर रखा जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए'।
इस बार उनकी सबसे बड़ी विशेष बात यह होती है कि एक बार जारी हो जाने के बाद फिर मृत्युदंड कर दिया जाना सुनिश्चित हो जाता है। यह वारंट किसी भी स्थिति में लंबित नहीं हो सकता। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com