भोपाल। मध्यप्रदेश में अक्षम, अयोग्य और निगम में कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का सिलसिला शुरू हो गया है। फार्मूला 50/20 का उपयोग करते हुए सबसे पहले अक्षम यानी बीमार कर्मचारियों को वीआरएस देने की तैयारी की गई है। इस लिस्ट में मध्य प्रदेश के 90 मुख्य नगर पालिका अधिकारियों के नाम हैं। अगले 7 दिन के भीतर रिपोर्ट शासन के पास होगी कि उपरोक्त सभी अधिकारी काम के लिए फिजिकली फिट हैं अथवा नहीं।
जिनकी तोंद निकल आई है, उनके नाम भी लिस्ट में
नगरीय प्रशासन एवं विकास के कमिश्नर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने विभाग के सभी संभागीय संयुक्त संचालकों को लैटर जारी करके 7 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा है। कमिश्नर श्रीवास्तव ने 1 नवंबर को रिपोर्ट देने को कहा है। उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग के अगस्त 2000 के आदेश का हवाला देते हुए यह रिपोर्ट मांगी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने ऐसे सभी कर्मचारियों की लिस्ट मांगी है जिनका मोटापा उनकी आयु से अधिक बढ़ गया है। जिनकी ड्यूटी फील्ड में है लेकिन वह ठीक प्रकार से पैदल भी नहीं चल पाते।
पुराने कर्मचारी बहुत महंगे और किसी काम के नहीं
मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पुराने कर्मचारी जिन्हें सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के आधार पर वेतन एवं सुविधाएं दी जा रही हैं। वह सरकार को काफी महंगे पड़ रहे हैं। उन्हें जितनी सैलरी दी जा रही है वह उसका 10% काम भी नहीं कर पाते। उनकी जगह पर संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारी ज्यादा अच्छा काम करते हैं। 20 साल पुराने कर्मचारियों को सस्पेंड करना भी मुश्किल होता है। इसलिए ऐसे कर्मचारियों के लिए VRS ही एकमात्र उपाय है। (मध्य प्रदेश के कर्मचारियों से संबंधित खबरों के लिए कृपया एमपी कर्मचारी समाचार लिंक पर क्लिक करें)