अतिथि शिक्षकों की अचानक सेवा समाप्ति नहीं की जा सकती: एडवोकेट धीरज तिवारी - EMPLOYEE and LAW

Bhopal Samachar
जबलपुर
। मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने नियमित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के दौरान विभिन्न स्कूलों में पदस्थ अतिथि शिक्षकों की अचानक सेवा समाप्त कर दी। प्रश्न यह है कि क्या सरकार इस प्रकार वर्षों पुराने किसी कर्मचारी को बर्खास्त कर सकती है जबकि उसने कोई अपराध ना किया हो। इस मामले के कानूनी पहलुओं को जानने के लिए हमने कुछ विधि विशेषज्ञों से संपर्क किया। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि क्या कोई सरकार, किसी गली मोहल्ले के दुकानदार की तरह अपने कर्मचारी को नौकरी से निकाल सकती है।

भारत में सरकार कल्याणकारी राज्य के सिद्धांत पर चलती है

जबलपुर में स्थित मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एडवोकेट श्री धीरज कुमार तिवारी (DLEGAL VIEW ADVOCATES & Co. JABALPUR) का कहना है कि भारत में सरकार (कल्याणकारी राज्य) (welfare state) के सिद्धांतो पर चलती है और इसीलिए कानूनविदों ने संविधान में भी इसे प्राथमिकता दी है जो की संविधान के भाग IV में "राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों" के रूप में निहित है। 
“संविधान के भाग IV में "राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों" को लागू करके हमने एक कल्याणकारी राज्य बनाने का प्रयास किया है।“ (Paras Diwan, Administrative Law,(Faridabad: Allahabad Law Agency) 2004 p 124.)

हाईकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के लिए कहा था

मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में वर्षों से पढ़ा रहे अतिथि शिक्षकों (Guest Teachers) के नियमितीकरण के मामले में सरकार के रुख को माननीय मप्र उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में निंदनीय बताया गया था। इसके साथ ही माननीय म.प्र. उच्च न्यायालय द्वारा सरकार की ऐसी अस्थाई व्यवस्था को अनैतिक बताते हुए कुछ महत्वपुर्ण दिशा निर्देश दिए गए थे जो की निम्न रूप से है।
Saurabh Singh Baghel v. State of M.P., 2018 SCC OnLine MP 730 : (2019) 1 MP LJ 643
22. We do find that the policy of replacement of Guest Teachers with another set of Guest Teachers is neither proper nor justified
25. The State has large number of schools and also equally large number of students. Such large numbers of students are to be provided with quality education. It is the responsibility of the State that the teachers, who shape the future of country, are meritorious and appointed through a transparent system and not by the process adopted by the Local School Level Committee or the Parents Teacher Association.
26. However, engagement of such large number of Guest Teachers cannot be a rule and the State Government will be well advised to fill the posts of teachers in the schools in a phased manner in the years to come.
27. Since there are large number of vacancies in the Government Schools of the State, which is evident from the fact that this year 70,000 Guest Teachers are to be engaged, therefore, to give effect to Right to Education Act and that there should not be any ad hocism in engaging the teachers for teaching students in the schools of the State, we issue the following directions:—
(i) The State Government shall frame policy for filling the posts of Teachers in the State in a phased manner, to be completed in five years after framing of the policy;
(ii) Such policy shall be uploaded on the website of the State Government within four months from the date of order of this Court;
(iii) The vacancies, if any, of the Guest Teachers engaged in pursuance to the Circular dated 7-7-2018, shall be filled up on the basis of merit list school-wise already prepared;
(iv) If the merit list is exhausted, then fresh options would be invited school-wise from the registered candidates in the same manner as has been done in pursuance of circular dated 7-7-2018.

तथा ad hocism या संविदा पर ही वर्षों से काम पर रखे जाने के तरीके को माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी गलत ठहराया है। न्याय दृष्टांत Hargurpartap Singh V/s. State of Punjab and others 2007(13) SCC 292में माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा है की ‘A set of contract employees cannot be replaced by another set of contract employees’

मध्य प्रदेश शासन के परिपत्र में नियमितीकरण के नियम

राज्य सरकार के द्वारा परिपत्र क्रमांक: C-5-2/2018/1/3 दिनांक 05 जून 2018 संविदा पर नियुक्त अधिकारियों/कर्मचारियों को नियमित पदों पर नियुक्ति के अवसर प्रदान किए जाने हेतु नीति-निर्देश के अनुरूप राज्य शासन के विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारी जिसमे की म.प्र. सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी भी है, को नियमित पदों पर नियुक्ति के अवसर प्रदान किए जा सकतें है। इसी परिपत्र की कंडिका 1.5.1. में उल्लेख है कि नियमितीकरण के लिए लगातार 05 वर्षों तक उसी पद पर कार्य करना अनिवार्य है। 
परिपत्र की कंडिका 1.6 में तथा1.8 में स्पष्ट रूप से निहित है की ऐसे व्यक्ति को उसी विभाग में कार्य दिया जावेगा। 

माननीय एमपी हाई कोर्ट द्वारा सरकार को निर्देश दिए गए थे की राज्य के स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को नियुक्त करने में कोई ad hocism नहीं होना चाहिए। तथा राज्य सरकार के द्वारा परिपत्र क्रमांक: C-5-2/2018/1/3 दिनांक 05 जून 2018 के अनुसार म.प्र. सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत कार्य कर रहे संविदा रूप में नियुक्त अतिथि शिक्षकों (Guest Teachers) को भी इस परिपत्र का लाभ दिया जाना चाहिए। इससे म.प्र. सर्व शिक्षा अभियान को सफल बनाने में सरकार को काफी मदद और शिक्षकों को नियमित पद मिल सकेगा। 
 
चुकी म.प्र. राज्य एक (कल्याणकारी राज्य) (welfare state) है इसीलिए अगर अतिथि शिक्षकों (Guest Teachers) जो उपरोक्त अनुसार पत्र है और जो वर्षो से कार्य करते चले आ रहे है इसे कर्मचारियों को नियमित करना न्यायोचित प्रतीत होता है। 

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