अपने शरीर की रक्षा का अधिकार कब से प्रारंभ होता है एवं कब तक बना रहता है जानिए - IPC SECTION-100

भारतीय दंड संहिता की धारा 100 यह बताती है कि व्यक्ति पर कोई हमलावर मृत्यु करने के लिए हमला कर दे या हमले के कारण कोई गंभीर चोट होने की संभावना होती है या कोई महिला के साथ कोई व्यक्ति बलात्कार जैसा अपकृत्य करता है या करने की कोशिश भी करता है तब  व्यक्ति हमलावर की मृत्यु तक कर सकता है और वह अपराध नहीं होगा। लेकिन धारा-99 के नियमो के अधीन प्राइवेट प्रतिरक्षा का बचाव नहीं होगा ये हमने आपको बता दिया है,एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा धारा- 101 यह बताती है की जब कोई हमलावर ऐसे हमला करता है जो गम्भीर नहीं है तब व्यक्ति  हमलावर की मृत्यु नहीं कर सकता है। लेकिन आज हम धारा-102 में बतायेगे की किसी व्यक्ति का प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार कब से प्रारंभ(शुरू) होकर कब तक बना रहता है अर्थात कब समाप्त हो जाता है जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 102 की परिभाषा:-

किसी व्यक्ति को तुरंत खतरे की आशंका या संभावना होते ही निजी प्रतिरक्षा का अधिकार शुरू हो जाता है एवं यह तब तक जारी रहता है जब तक कि खतरे की आशंका बनी रहती हैं। यदि खतरे की आशंका का कारण समाप्त हो गया हो, तब व्यक्ति का निजी प्ररिरक्षा के बचाव की आवश्यकता भी समाप्त हो जाती है।

इसको हम उधारानुसार समझाते हैं:-

1. नान्हू कहार बनाम बिहार राज्य:- मृतक द्वारा आरोपी के पिता पर लाठी से प्रहार किये जा रहे थे जिसके कारण आरोपी को प्रतिरक्षा का बचाव उपलब्ध था, लेकिन मारपीट शांत होने के बाद भी आरोपी ने मृतक पर तेज धार वाले हथियार से हमला किया जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई।न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि झगड़ा शांत होते ही आरोपी का निजी प्रतिरक्षा का अधिकार भी समाप्त हो गया था। अतः उसके द्वारा मृतक पर धार वाले हथियार से प्रहार किया जाना प्राइवेट प्रतिरक्षा पर अतिक्रमण माना जाएगा।

2. मुख्तयार सिंह बनाम पंजाब राज्य:-  मामले में न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि निजी प्रतिरक्षा का अधिकार उसी समय उत्पन्न हो जाता है जब कि तत्काल हमले की या उसके प्रयास की आशंका हो और खतरा बने रहने तक वह जारी रहेगा। अतः हमले को असफल बनाने के लिए प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग किया जाना उचित होगा। लेकिन जैसे ही हमलावर को जमीन पर गिराकर उसका हथियार छीन कर उसे निहत्था कर दिया जाता है तब प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार उसी समय समाप्त हुआ माना जायेगा।

:- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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