लाइफ मैनेजमेंट के चार गोल्डन रूल - MOTIVATIONAL ARTICLE IN HINDI

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शक्ति रावत।
आज के समय में बहुत सारे लोगों को लगता है, कि लाइफ मैनेजमेंट यानि जीवन प्रबंधन की कला पश्चिम की खोज और कोई नई चीज है। उन्हें पता ही नहीं कि, इसके सूत्र सदियों पहले से हमारी संस्कृति और जीवनशैली में मौजूद रहे हैं। हां, आज के दौर के लोग उन्हें भूल गए हैं, यह और बात है। दूसरा हमारी समस्या यह है, कि जब पश्चिम से कोई बात कही जाती है, तभी यहां के लोगों को बड़ी गहरी मालूम होती है। जबकि असली खजाना हमारे अपने घर में है। इसीलिये आज भारतीय संस्कृति में शामिल जीवन प्रबंधन के चार गोल्डन रूल आपके लिए लाया हूं। इन्हें सदियों से हमारे पूर्वजों ने अपनाया था, और जो जिंदगी की कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं। लेकिन आज के लोग भूल गए और इसीलिये मुसीबत में फंसते रहते हैं। जानते हैं, इन सूत्रों को।

लाइफ मैनेजमेंट गोल्डन रूल नंबर 1- पहले सोचो, फिर बोलो

 हमारे बुर्जुग सदियों से लाइफ मैनेजमेंट के इस नियम का पालन करते चले आ रहे हैं, कहा भी जाता है, कि शब्द पर आपका अधिकार तभी तक है, जबतक वह आपके मन में है, जबान से निकलते ही दूसरे का हो जाता है। आप खुद सोचकर देखिये कितनी बार आप अपने बोलने की वजह से ही मुश्किल में फंस जाते हैं। बाद में खुद भी पछताते हैं। कितनी बार बोलने की वजह से ही विवाद की स्थिति बनती है।इसलिये हमारे यहां हमेशा कहा जाता रहा, पहले सोच लो फिर बोलो। अगर जीवन प्रबंधन के इस नियम को आप अपने जीवन में अपना लें, तो यकीन मानिये जिंदगी की बहुत सारी समस्याओं और उलझनों से आप हमेशा के लिए सुरक्षित रहेंगे। भारतीय संस्कृति का यह सबसे पुराना सूत्र है, अपने शब्दों का इस्तेमाल पैसों की तरह सावधानी से कीजिये।

लाइफ मैनेजमेंट गोल्डन रूल नंबर 2- पहले लिखो, फिर दो

यह दूसरा गोल्डन रूल है। मैं आपसे पूछूं की छह महीने पहले आपने ने फलां तारीख को कौन सा महत्वपूर्ण काम किया था, तो आप क्या जबाब देंगे। शायद ही आपको याद होगा। नहीं ना। इसलिये यह नियम भी जीवन प्रबंधन में बड़े काम का है, कि आप किसी को भी कोई चीज या पैसे आदि दे रहे हो कोई हिसाब किताब कर रहे हो तो उसको लिखकर रखो। ताकि, वक्त पडऩे पर आपको पता रहे कि, आपने क्या लिया या दिया था। हममें से कई लोग इस नियम को ना अपनाने कारण यकीनन पहले नुकसान उठा चुके होंगे। क्योंकि जीवन की भागदौड़ में हर बात याद रखना संभव नहीं है। इसलिये परेशानी से बचने के लिए यह नियम सबसे अच्छा है। एक डायरी बनायें और उसमें जरूरी बातों को समय-समय पर लिखते रहें।

लाइफ मैनेजमेंट गोल्डन रूल नंबर 3- पहले योजना, फिर काम

यह तीसरा कीमती नियम है, आपने सुना ही होगा, बिना विचारे जो करै, सो पाछे पछताय, काम बिगाड़े आपनो, जग में होत हंसाए। इसका भी थोड़ा बहुत अनुभव हममें से कई लोगों को होगा। बिना योजना के किसी भी काम की शुरूआत परेशानी पैदा करती है, चाहे वह काम छोटा सा ही क्यों ना हो। अपने घरों में बुर्जुगों को आपने देखा होगा, जो किसी भी काम को करने से पहले सोचते हैं, नई पीढ़ी को यह अटपटा लगता है, लेकिन यह लाइफ मैनेजमेंट का गहन नियम है, अगर आप आने वाली परेशानियों से बचना चाहते हैं, तो कोई भी काम करने से पहले उसकी योजना पर काम कीजिये।

लाइफ मैनेजमेंट गोल्डन रूल नंबर 4- अनुभव से सीखिये

चाणक्य ने कहा कि, हमेशा दूसरों की गलतियों से सीखने की कोशिश करें, क्योंकि खुद गलती करके सीखने के लिए आपकी उम्र कम पड़ जाएगी। यह सूत्र भी बहुत काम का है, गलतियां करना हमारा स्वभाव है, बिना गलती किये जीवन जीने वाला इंसान अब तक धरती पर पैदा हो नहीं सका। लेकिन खुद के और दूसरे के अनुभवों से सीखते रहना जरूरी है। अपने माता-पिता और परिवार के बड़ों के अनुभवों से भी जीवन की सीख लेते रहना चाहिये। ताकि, गलतियां कम हों, और आपको जीवन में आगे बढऩे के मौके ज्यादा मिलें। -लेखक मोटीवेशनल स्पीकर और लाइफ मैनेजमेंट कोच हैं। 
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