450 बच्चों का खाना अकेला क्लर्क खा जाता था, सस्पेंड - BHIND MP NEWS

भोपाल
। मध्यप्रदेश के भिंड जिले में कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस ने महिला एवं बाल विकास विभाग की रौन परियोजना में पदस्थ तृतीय श्रेणी कर्मचारी एवं क्लर्क ओमप्रकाश शाक्य को सस्पेंड कर दिया है। कलेक्टर द्वारा कराई गई इन्वेस्टिगेशन में पाया गया कि क्लर्क ओमप्रकाश शाक्य हर रोज 450 बच्चों का खाना अकेले खा जाता था। यानी बच्चों को खाना नहीं दिया जाता था जबकि स्व सहायता समूह को पेमेंट कर दिया जाता था।

परियोजना के नौ सेक्टर में से चार सेक्टर में राशन वितरण नहीं कर रहे थे

कलेक्टर कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के राैन परियोजना में पोषण आहार वितरण में बीते दिनों से अनियमितताओं की शिकायत होती आ रही है। यहां वृत्तीय विभाग में पदस्थ बाबू ओम प्रकाश शाक्य बिना लेन - देन के कुछ नहीं करते है। बीते दिनों कलेक्टर कार्यालय में पोषण आहार वितरण किए बगैर राशि स्व सहायता समूहों के लिए जारी होने की शिकायत की गई। रौन परियोजना में कुल नौ सेक्टर है जिसमें शिकायत चार सेक्टर की आंगनबाड़ियों पर राशन वितरण न होने की शिकायत सेक्टर प्रभारी द्वारा की गई थी।

कागजों में हर रोज 450 बच्चों को पोषण आहार खिलाया जा रहा था

जब जांच शुरू की गई तो फरवरी और मार्च महीने में राशन वितरित न होने का खुलासा हुआ। जबकि बाबू, हर रोज साढ़े चार सौ बच्चों को पोषण आहार खिलाए जाने की रिपोर्ट के साथ राशि स्व सहायता समूह को राशि जारी करता रहा। कलेक्टर के निर्देश पर की गई जांच में यह मामला पकड़ में आया। इसके बाद बाबू को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। अब बाबू को मेहगांव परियोजना कार्यालय में अटैच किया गया है।

80 से ज्यादा स्व सहायता समूह के भ्रष्टाचार में बाबू ओमप्रकाश शामिल

महिला एवं बाल विकास विभाग के डीपीओ अब्दुल गफ्फार का कहना है कि वृत्तीय अनियमितता करते हुए बाबू ओमप्रकाश शाक्य ने रौन परियोजना के चार सेक्टर की 16 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 450 बच्चों को पोषण आहार का विरतण नहीं किया और राशि स्वीकृत की थी। यहां 80 से अधिक स्व सहायता समूहों को बाबू ने सीधे तौर पर फायदा पहुंचाया। यह लेखा जोखा जांच के दौरान फरवरी और मार्च महीने का पकड़ा गया। इससे पहले बीते नवंबर और दिसंबर में भी इसी तरह की अनियमितता करने पर नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद पुन: गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई की गई है। 

इन्वेस्टिगेशन के दौरान टेलीकॉलिंग टेक्निक का उपयोग किया गया

विभागीय तौर पर कराई गई जांच को लेकर गंभीरता बरती गई। जांच की पुष्टि सिद्ध करने को लेकर महिला एवं बाल विकास एवं प्रशासनिक अफसरों ने आंगनबाड़ी केंद्रों पर टेलीकॉलिंग करके आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायकाओं से बातचीत की। इसके अलावा शिकायत कर्ता से भी बातचीत की। इस तरह जांच पूरी होने पर कार्रवाई प्रस्तावित की गई थी। टेलीकॉलिंग के दौरान कई कार्यकर्ताओं ने लहार परियोजना ऑफिसर के खिलाफ भी शिकायतें की है। हालांकि महिला एवं बाल विकास के अफसर इस मामले को दबा रहे हैं।

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