इंटरनेट डाटा का उत्पादन कहां और कैसे होता है - GK IN HINDI

भारत में लगभग 65 करोड लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं। यूजर प्रीपेड हो अथवा पोस्टपेड उसके पास इंटरनेट डाटा की एक लिमिट होती है। उसकी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी उसे हिसाब देती है कि उसने कुल कितना डाटा खर्च किया। अपना सवाल यह है कि खर्चे का हिसाब तो मिल जाता है लेकिन इंटरनेट डाटा का उत्पादन कहां और कैसे होता है। हर रोज दुनिया में कितना इंटरनेट डाटा उत्पादित किया जाता है। आइए पता लगाते हैं:-

दरअसल इंटरनेट डाटा का दुनिया में कहीं भी कोई उत्पादन नहीं होता। यह एक वर्ल्ड वाइड नेटवर्किंग सिस्टम है। आप अपने घर या ऑफिस में रखे हुए सभी कम्प्यूटर्स को नेटवर्क के माध्यम से एक दूसरे से कनेक्ट कर सकते हैं। इसके लिए आपको किसी ब्राडबैंड कनेक्शन की जरूरत नहीं है। इसी प्रक्रिया को जब अंतरराष्ट्रीय बनाया गया तो इंटरनेट कहा गया। नेटवर्किंग के माध्यम से वह सभी कंप्यूटर एक दूसरे से कनेक्ट हो जाते हैं जो शटडाउन नहीं होते। आप अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन पर दूसरे कम्प्यूटर की हार्डडिस्क में मौजूद फाइल, फोटो, वीडियो को आसानी से देख सकते हैं। 

इंटरनेट पर विभिन्न प्रकार के वेबपेज किसी भी समय आप इसलिए पढ़ पाते हैं क्योंकि वेबसाइट संचालित करने वाली कंपनी का ऑफिस बंद होने के बावजूद उसका सर्वर हमेशा ऑन रहता है। आप तो जानते ही हैं कि जब सर्वर बंद हो जाता है तो ऑफिस के खुले रहने पर भी आप उसकी वेबसाइट ओपन नहीं कर सकते। 

अब सवाल यह उठता है कि जब इंटरनेट डाटा का उत्पादन ही नहीं होता तो फिर बिक्री कैसे होती है। कंपनियां इसके लिए पैसा क्यों लेती हैं और सरल हिंदी में उत्तर यह है कि कंपनियां डाटा का नहीं बल्कि सर्विस प्रोवाइड करने के बदले पैसा लेती है। उपकरण और कर्मचारियों की लागत एवं निवेशकों को देने के लिए मुनाफे को ग्राहकों से वसूला जाता है। (यह जानकारी अपन पहले ही दे चुके हैं कि: इंटरनेट डाटा की कीमत का निर्धारण कैसे होता है)

इंटरनेट का संक्षिप्त इतिहास 

Internet का full form है "Interconnected Network "
1969 में टिम बर्नर्स ली ने इंटरनेट बनाया था। इसका उपयोग सबसे पहले अमेरिका के रक्षा विभाग द्वारा किया गया।
1979 में ब्रिटिश के डाक विभाग में पहला अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बनाया। इससे पहले तक एक संदेश को दूर देश में पहुंचाने के लिए कई हफ्ते लग जाते थे। इंटरनेट के कारण पलक झपकते ही संदेश दुनिया की किसी भी देश में पहुंच जाता है।

1980 में सबसे बड़ा क्रांतिकारी बदलाव आया। बिल गेट्स और आईबीएम के बीच माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम का सौदा तय हुआ।
1984 में पहली बार फाइल, फोल्डर, माउस, ग्राफिक्स और dropdown-menu का उपयोग शुरू हो सका। यह काम आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल ने किया था।
1989 में एक ऐसा काम हुआ जिसके कारण इंटरनेट दुनिया के आम नागरिकों की पहुंच के अंदर आ गया। टिम बेर्नर ली ने इंटरनेट पर संचार को सरल बनाने के लिए ब्राउज़रों, पन्नों और लिंक का उपयोग कर के WWW (वर्ल्ड वाइड वेब) बनाया।
1996 में गूगल ने अपनी शुरुआत की और आज दुनिया में बहुत सारे लोग इंटरनेट का मतलब गूगल जानते हैं। 
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