मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1958 - Madhya Pradesh Shop and Establishment Act 1958
बहुत से होटल, रेस्टोरेंट, दुकान या ब्यूटी पार्लर आदि में बहुत कम कर्मचारी काम करते हैं जो सुबह काम पर जाते हैं, और शाम को अपने घर आ जाते हैं। कुछ दुकान मालिक इनको दैनिक मजदूरी पर काम करवाते है कुछ मासिक वेतन पर और दुकान मालिक इनका हिसाब किताब साधारण नोट-बुक में रखता है। कहीं ऐसा करना गैरकानूनी तो नहीं है, आइए जानते है:
मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम,1958 के नियम 20(1) से (14) तक:-
किसी भी स्थापना के नियोजक द्वारा समस्त दस्तावेज मेन्टेन करने एवं प्रदर्शित करने का प्रावधान है, निजोजक कर्मचारियों से सम्बंधित हाजिरी, वेतन, कटौती संबंधित रजिस्टर, 'फॉर्म-एन' में रखेगा।
मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम की धारा 54 की परिभाषा:-
प्रत्येक नियोजक का कर्तव्य है कि निरीक्षक द्वारा मांगे जाने वाले सभी अभिलेख, सूचनाएं, दस्तावेज को प्रस्तुत करेगा और उन्हें मेनटेन करेगा।
दण्ड:- अगर कोई नियोजक या प्रबंधक अपने दायित्वों का पालन नहीं करता है तब वह अधिनियम की धारा 46,47,48 के अंतर्गत दंडनीय होगा। इनकी सुनवाई किसी भी द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट के पास होगी। सजा:- कम से कम 500 रुपये जुर्माने से एक हजार रुपए का जुर्माना या तीन माह से एक वर्ष तक कि कारावास हो सकती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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