कोरोना दुष्काल अभी खत्म नहीं हुआ है - Pratidin

2021 की शुरुआत में जब कोविड-१९ की वैक्सीन लगनी शुरू हुई तो उम्मीद जगने लगी थी कि अब विश्व कोरोना पर नियंत्रण पा ही लेगा ।कुछ बेहतरी के आंकड़े भी सामने आये और कोरोना संक्रमितों की संख्या में गिरावट भी देखी गयी| पिछले कुछ दिनों से यह तस्वीर फिर बदल गई है, लगातार बढ़ रहे मामलों ने सबकी चिंता बढ़ा दी है।

भारत के अनेक राज्यों के कई इलाकों में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। कुछ जगहों पर चेतावनी जारी कर दी गयी है। कई जगह मॉल, रेस्तरां और थियेटरों को दोबारा बंद करने पर विचार चल रहा है। कोरोना वायरस के फिर से पैर पसारने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में लगातार बीते तीन दिनों में 19 हजार से अधिक नये मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही मरीजों के ठीक होने की दर में भी गिरावट दर्ज की गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक इस वायरस से अब तक 1 लाख 57 हजार 853 लोग जान गंवा चुके हैं। पिछले सप्ताह जो मौतें दर्ज हुई |, उनमें से महाराष्ट्र के 38, पंजाब के 17 और केरल के 13 लोग थे। इस वक्त कोरोना के ज्यादा मामले महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में हैं। उसके बाद हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी मामले बढ़ रहे हैं। इस महामारी पर काबू पाने के लिए बेशक टीकाकरण अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन हर व्यक्ति तक इसकी पहुंच अभी दूर की कौड़ी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अब तक वैक्सीन की करीब 2.10 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं। वैक्सीनेशन अभियान जारी रहने का यह अर्थ कतई नहीं कि कोरोना पर हमने काबू पा लिया है। इससे बचाव के लिए वही सावधानियां अब भी जरूरी हैं, जो शुरुआत से चल रही थीं। यानी पर्याप्त दूरी बनाकर रहें, सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनें, हाथों को सैनेटाइज करें या साबुन से धोते रहें। कोरोना के प्रति सावधानी के लिए अनेक माध्यमों से चेताये जाने के बावजूद ज्यादातर इलाकों का माहौल देखने से लग रहा है जैसे लोग अब मान चुके हैं कि यह महामारी चली गयी।

एक तरफ सरकारें कोरोना के खिलाफ कदम तो उठा रही हैं, लेकिन बिना सुरक्षा उपायों के रैलियों, सभाओं का दौर बदस्तूर जारी है, खासतौर से चुनावी राज्यों में। इन दोहरे मापदंडों से बचना होगा। आम जनता को भी समझना होगा कि कोरोना से बचाव के जो जरूरी नियम-कायदे हैं, उनमें ढिलाई बिल्कुल न बरती जाये। संक्रमण की यह बीमारी एक से अनेक लोगों में फैलती है। इसलिए इस चेन को तोड़ना जरूरी है। याद कीजिए सालभर पहले का मंजर। इन्हीं दिनों पूरे विश्व से कोरोना की खौफनाक तस्वीर सामने आने लगी थी। यूं तो बदलते मौसम में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होता है, फिर कोरोना काल में कुछ सावधानियों का सख्ती से पालन और अहम हो जाता है।

हम नागरिक कोशिश करें कि बिना काम घर से बाहर न निकलें, निकलना ही पड़े तो मास्क लगाकर जायें। पर्याप्त दूरी बनाकर रखें। घर में बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ध्यान रखें। वैक्सीनेशन की बारी आ गयी हो तो डॉक्टरी सलाह पर उसे लगायें। ध्यान रहे कोरोना को मात देने के लिए हम सबको एक होना पड़ेगा। यह जिम्मेदारी सिर्फ सरकारों की नहीं है। हमें यह भी समझना होगा कि दिनों को गिनने से वायरस नहीं चला जाएगा। इस बात का कोई मतलब नहीं कि लंबा वक्त हो गया, अब कोरोना कहीं नहीं है। कोरोना महामारी का खौफ अभी भी वैसा ही है, जैसा पहले था, बल्कि कई देशों में तो इसके नये स्वरूप के सामने आने की सूचनाएं हैं।

गनीमत है कि भारत में नये स्वरूप के ज्यादा मामले नहीं हैं। कोरोनामुक्त भारत के लिए लापरवाही वाली आदत सबको छोड़नी होगी। सावधानी से चलेंगे तो निश्चित रूप से इस महामारी से भी पार पा लेंगे, लेकिन सावधानी हटेगी तो दुर्घटना घटेगी ही। महामारी से निपटने में हर किसी को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। सरकारों, सियासी दलों की ओर से उचित कदम उठें, सकारात्मक संदेश मिलें और आम जनता जागरूक रहे, तभी बीमारी का यह वायरस खत्म होगा।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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