सप्तपर्णी पौधे का महत्व: दुर्बलता, पीलिया और मलेरिया को मिटाता है - Botanical Knowledge

सप्तपर्णी को आयुर्वेद में उन औषधियों में से एक माना जाता है जो कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ को समाहित किए हुए है। यह एक सदाबहार वृक्ष है। दिसंबर से मार्च माह के दौरान छोटे-छोटे हरे और सफेद रंग के फूल लगते हैं, जिनमें विशिष्ट सुगंध रहती है। 

हिमालय के क्षेत्रों और उसके आसपास के हिस्सों में यह पौधा ज्यादातर उगता है। पौधे की छाल ग्रे-कलर की होती है। यह ऐसा पौधा है, जिसका उपयोग आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा, तीनों में कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। दुर्बलता को दूर करने से लेकर खुले घावों को ठीक करने और पीलिया तक कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में सप्तपर्णी प्रभावी औषधि है। 

वैसे तो पौधे के ज्यादातर हिस्से औषधीय गुणों से युक्त होते हैं, लेकिन इसकी छाल को मलेरिया के लक्षण ठीक करने के लिए बहुत सालों से प्रयोग में लाया जाता रहा है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि इसका किसी भी रूप में इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लेना चाहिए।
saptaparni botanical name - Alstonia scholaris
saptaparni scientific name - Alstonia scholaris

सप्तपर्णी का पौधा भोपाल में कहां मिलेगा 

वन विभाग की नर्सरी के अलावा बड़े स्तर वाली प्राइवेट नर्सरी में भी सप्तपर्णी का पौधा मिल जाता है। यदि आप भोपाल शहर में है तो स्मार्ट उद्यान में सप्तपर्णी का पौधा लगा हुआ मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 17 मार्च 2021 को स्मार्ट उत्थान में सप्तपर्णी का पौधारोपण किया है।

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