कंपनी या कारखाने के कर्मचारी का वेतन काटना, अधिकार है या अपराध, पढ़िए The payment of wages act,1936

Bhopal Samachar
भारत में लोग प्राइवेट कंपनियों और कारखानों में काम करना सिर्फ किस लिए पसंद नहीं करते क्योंकि उनकी नौकरी अस्थाई होती है। शारीरिक एवं मानसिक श्रम, शासकीय सेवा की तुलना में कई गुना अधिक लगता है। अधिकारियों द्वारा अत्यधिक दबाव बनाया जाता है और सबसे बड़ी समस्या यह कि कर्मचारी का बिना वजह वेतन काट लिया जाता है। कुछ कंपनियों में दो चेयरमैन की बर्थडे पार्टी के लिए वेतन काट लिया जाता है। सवाल यह है कि क्या एचआर मैनेजर को इस तरह मनमाना वेतन कटौती करने का अधिकार है, यदि नहीं तो किस कानून की किस धारा के तहत इस तरह की कटौती अपराध है।

वेतन भुगतान अधिनियम, 1936 की परिभाषा (सरल और संक्षिप्त रूप में):-

किसी कारखाने, रेल्वे, औधोगिक में काम करने वाले व्यक्ति जिनका वेतन 6,500 रुपये तक होगा या केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक 5 वर्षों में अधिसूचना जारी NSSO द्वारा जारी उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर इससे अधिक वेतन पर लागू होगा। (वर्तमान संशोधन वेतन भुगतान अधिनियम 2017 में अधिकतम 24000रू. प्रभावी होगा।) जो भी ठेकेदार या मालिक बिना काऱण के इनका वेतन रोकता है या वेतनमान में से कटौती करता है (भविष्य निधि अंशदान, किसी भी तरह का कारखाने कंपनी द्वारा ऋण, आयकर, बीमा, कोई सुविधा के लिए अग्रिम वसूली को छोड़ कर(अधिनियम की धारा-7 के अधीन) तब उन पर वेतन भुगतान अधिनियम 1936,(The payment of wages act,1936 की धारा- 20 के अंतर्गत दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।

नियोजक का दायित्व
वेतन भुगतान अधिनियम 1936,(The payment of wages act,1936) की धारा- 3 के अनुसार नियोजक का दायित्व है कि वह वेतन का भुगतान समय अवधि के 7 दिन पूर्व या 10वे दिन समाप्ति के पूर्व भुगतान अनिवार्य रूप से करे।

श्रमिक शिकायत कहाँ कर सकते हैं:-

नियोजित व्यक्ति अधिनियम की धारा- 15 के अनुसार किसी भी श्रम कार्यालय में वहाँ के प्राधिकारी को अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। 

वेतन भुगतान अधिनियम,1936 के अनुसार दण्ड का प्रावधान:-

अगर कोई ठेकेदार या कारखाने का मालिक, औधोगिक मालिक श्रमिकों के वेतन को रोकता है या कटौती करता है तो उसे अधिनियम की धारा 20 के अंतर्गत 1,500 रुपये से 7000 रुपए तक का जुर्माना या कारावास की सजा से भी दाण्डित किया जा सकता है।

नोट:- निम्न स्थिति में श्रमिकों का वेतन काट सकते हैं, कर्तव्य से अनुपस्थित होने पर, नुकसान या हानि की स्थिति में, कार्य नहीं वेतन नहीं सिद्धांत के आधार पर लेकिन इस प्रकार वेतन कटौती से पहले कर्मचारी को नोटिस देना होगा एवं कारण भी बताना होगा तब यह नियम लागू होगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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