नई दिल्ली। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे से जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ नाराज हो गई। दरअसल, संघ लोक सेवा आयोग ने उप सचिव के हस्ताक्षर से हलफनामा दाखिल कर दिया और यह भी स्पष्ट नहीं किया कि फैसला किस स्तर पर लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सिविल सर्विसेज एग्जाम में उम्मीदवारों को एक्स्ट्रा चांस नहीं दिया जाने के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया था।
सुप्रीम कोर्ट में किस स्तर के अधिकारी द्वारा हलफनामा दाखिल किया जाना चाहिए
सर्वोच्च अदालत की जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू से कहा कि उसने सरकार (संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी)) का हलफनामा देखा है और बेहतर होता कि इसे किसी उच्च अधिकारी द्वारा दाखिल किया जाता।
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पीठ ने मामले की सुनवाई शुक्रवार के लिए तय करते हुए कहा, 'हलफनामा में इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है कि फैसला किस स्तर पर लिया गया। यह उच्चतम स्तर पर लिया जाना चाहिए था। यह नीतिगत निर्णय है और एक बार की छूट का मामला है। यह तो रूटीन हलफनामा है। क्या काम करने का यही तरीका है? हलफनामा उचित तरीके से दाखिल करें।'
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