MTH हॉस्पिटल में बच्चे की मौत पर हंगामा, पैर दर्द का इलाज करवाने आए थे, COVID वार्ड में भेज दिया - INDORE NEWS

इंदौर।
 मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में महाराजा तुकोजीराव अस्पताल (एमटीएच) में बुधवार को अलसुबह दो मरीजों की मौत होने के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा मचाया। एमजीएम कॉलेज के अधीन एमटीएच में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का उपचार किया जा रहा है और मृत मरीज भी कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अस्पताल में भर्ती थे। 

अस्पताल के डॉक्टर संजय अवासिया के मुताबिक एक मरीज की मौत देर रात एक बजे हुई। हालांकि वह पॉजिटिव नहीं था। इसके अलावा अलसुबह 5.30 बजे भी कोरोना संक्रमित मरीज ने दम तोड़ दिया। यह सूचना मृतक के परिजनों को दीं तो वे हंगामे पर उतर आए। उन्होंने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। हालांकि अस्पताल अधीक्षक डॉ. पीएस ठाकुर ने कहा कि मुझे अस्पताल में हंगामे की कोई सूचना नहीं है। 

गौरतलब है कि जब से एमटीएच में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज शुरू हुआ है। तभी से अस्पताल में मरीजों के इलाज में लापरवाही के आरोप लगते रहे हैं। कुछ माह पहले भी अस्पताल में एक ही दिन में तीन संक्रमित मरीजों की मौत के बाद यहां की व्यवस्था पर सवाल उठे थे।

पहला मामला : 
मंगलवार सुबह पवन पिता गणेश चंदेल निवासी खरगोन से बच्चे पैरों के दर्द का इलाज करवाने इंदौर आए थे। इंदौर के आरके अस्पताल में डॉक्टर ने एक्सरे किया और वहां से सीधे एमटीएच रैफर कर दिया। परिवार को यह नहीं पता था कि एमटीएच अस्पताल में सिर्फ कोविड मरीजों का ही इलाज हो रहा है। बुधवार सुबह पिता के पास फोन आया कि आपके बेटे की मौत हो गई है और उसे एमवाय अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया है।

गणेश ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं। बड़ी 17 साल की पायल है। वहीं, पवन सबसे छोटा था और 9वीं क्लास में था। कुछ दिनों से उसके पैर में दर्द था, खरगोन में कई डॉक्टरों को दिखाया। उन्होंने इंदौर के निजी अस्पताल में रैफर कर दिया गया। बच्चे के सिर्फ पैर में दर्द था, लेकिन उसे एमटीएच अस्पताल में क्यों भर्ती कराया गया, इसकी किसी ने जानकारी नहीं दी। आरके अस्पताल ने उन्हें एमटीएच तो भेज दिया, लेकिन देर शाम अस्पताल से कॉल आया और 5000 के दो इंजेक्शन भी बुलवा लिए। वह इंजेक्शन किस बीमारी के थे, यह भी परिवार को मालूम नहीं है। बुधवार सुबह अस्पताल से फोन आया, पवन की मौत हो गई है। शव को एमवाय अस्पताल भिजवा दिया गया है।

दूसरा मामला : 
42 साल के देवी सिंह की 4 बेटियां हैं, जिसमें सबसे बड़ी बच्ची 14 साल की है। देवी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। 6 सालों से उन्हें सांस लेने में दिक्कत बनी हुई थी। बुधवार तक उन्हें किसी प्रकार के कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे थे। वह रोजाना अपने परिवार से बात भी कर रहे थे। बात करते वक्त वह कभी-कभी राजू से कहा करते थे कि मेरा खून पानी हो गया। इस अस्पताल से निकाल लो नहीं तो यह लोग मुझे दवा खिला-खिला कर मार डालेंगे।

परिजन राजू का आरोप है कि देवी सिंह से उन्हें मिलने नहीं दिया जाता था। केवल उन्हें हम खाना देने आते थे और अस्पताल में किसी को अंदर जाने नहीं दिया जाता था। अस्पताल में यदि मरीज के पास एक भी व्यक्ति हो तो उसमें हिम्मत होती है और वह बच सकता है, लेकिन अस्पताल का माहौल ऐसा है कि मौत ना भी आ रही हो तो अस्पताल के अंदर मौत आ जाए और बुधवार सुबह लापरवाही के कारण वही हुआ।
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