नई शर्त: MBBS डिग्री के बाद 10 साल सरकारी अस्पताल में नौकरी करनी होगी - UP NEWS

Bhopal Samachar
लखनऊ।
सन 2020 जब केंद्र सरकार सहित भारत के तमाम राज्यों की सरकारें आम नागरिकों को निशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराने के अपने संवैधानिक दायित्व को निभाने के लिए सरकारी अस्पतालों के बजाय विभिन्न प्रकार की योजनाएं बनाकर प्राइवेट अस्पतालों को प्रमुखता दे रही है तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ऐसा फैसला लिया है जो भारत में लोकतंत्र की स्थापना के लिए मूल आधार था। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के सामने शर्त रखी है की डिग्री हासिल करने के बाद कम से कम 10 साल उन्हें सरकारी अस्पताल में सेवा देनी होगी। यदि वह ऐसा नहीं करते तो 10000000 रुपए बतौर जुर्माना जमा करना होगा।

यदि पढ़ाई को बीच में छोड़ते हैं दो 3 साल का प्रतिबंध लग जाएगा

उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव ने इस संबंध में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अगर कोई बीच में नौकरी छोड़ना चाहता है तो उसे एक करोड़ रुपये की धनराशि जुर्माने के तौर पर यूपी सरकार को भुगतान करना होगा। अधिकारियों ने बताया कि अगर कोई डॉक्टर पीजी कोर्स बीच में ही छोड़ देता है तो उसे तीन साल के लिए डिबार कर दिया जाएगा। इन तीन सालों में वह दोबारा दाखिला नहीं ले सकेंगे।

सीनियर रेजिडेंसी में रुकने पर भी रोक

योगी सरकार के फैसले में यह भी कहा गया है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद चिकित्साधिकारी को तुरंत नौकरी जॉइन करनी होगी। इसके अलावा पीजी के बाद सरकारी डॉक्टरों को सीनियर रेजिडेंसी में रुकने पर भी रोक लगा दी गई है। नए नियम में कहा गया है कि विभाग की ओर से इस संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं जारी किया जाएगा।

ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने वाले डॉक्टरों को विशेष लाभ दिए जाएंगे

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने नीट (NEET) में छूट की भी व्यवस्था की है। ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में एक साल नौकरी करने के बाद MBBS डॉक्टरो को नीट प्रवेश परीक्षा में 10 अंकों की छूट दी जाती है। वहीं, दो साल सेवा देने वाले डॉक्टरों को 20 और तीन साल पर 30 अंको की छूट मिलती है। 

पीजी के साथ ही ले सकते हैं डिप्लोमा कोर्सेज में दाखिला

बताया गया कि ये डॉक्टर पीजी के साथ ही डिप्लोमा कोर्सेज में भी दाखिला ले सकते हैं। गौरतलब है कि हर साल सरकारी अस्पतालों में तैनात कई एमबीबीएस डॉक्टर्स पीजी में दाखिला लेने के लिए नीट की परीक्षा देते हैं।

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