नई दिल्ली। एक मकान बनाने में मिडिल क्लास के व्यक्ति की पूरी जिंदगी बीत जाती है और भू माफिया हथियार या पॉलीटिकल पावर के दम पर कभी भी उस पर कब्जा कर लेता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि संपत्ति विवाद के निपटारे ने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। किसान के खेत पर कब्जा करना गंभीर अपराध है परंतु कब्जा करने वाले को तुलनात्मक दंड का प्रावधान नहीं था। यही कारण है कि गुजरात राज्य में गुजरात लैंड ग्रेबिंग प्रोहिबिशन एक्ट-20 लागू किया गया है। गुजरात भारत का चौथा राज्य है जहां यह कानून लागू किया गया।
गुजरात लैंड ग्रेबिंग प्रोहिबिशन एक्ट-20 की मुख्य बातें
किसान या किसी भी व्यक्ति की खेत, प्लॉट, मकान या दुकान अथवा किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी पर कब्जा करने वालों को दंडित करने के लिए गुजरात लैंड ग्रेबिंग प्रोहिबिशन एक्ट-20 दिनांक 16 दिसंबर 2020 से लागू।
अगस्त 2020 से ही इस कानून की तैयारियां चल रही थी।
असम, कर्नाटक व आंध्रप्रदेश में पहले से यह कानून लागू है।
शिकायतकर्ता सीधे कलक्टर को इस तरह के अपराध अथवा मामले की शिकायत कर सकेगा।
7 वरिष्ठ अधिकारियों की एक विशेष जांच समिति हर 15 दिन में बैठक कर शिकायतों का निपटारा करेगी।
एक सप्ताह में पुलिस FIR दर्ज कर आरोपियों की धरपकड कर इसके लिए गठित विशेष अदालत में पेश करेंगी।
विशेष कोर्ट 6 माह में इन मामलों में अपना फैसला देगा।
गुजरात लैंड ग्रेबिंग प्रोहिबिशन एक्ट-2020 के तहत आरोपी पर मालिकाना हक साबित करने की जिम्मेदारी। (पहले फरियादी पर यह जिम्मेदारी होती थी।)
आरोप सही साबित हुए तो आरोपित व्यक्ति को 10 से 14 साल आजीवन कारावास तक की सजा।
साथ ही जमीन की सरकारी कीमत [जंत्री] के बराबर जुर्माना भरना पडेगा।