घर खरीदने वालों को आयकर में छूट, बिल्डर को भी छूट का प्रावधान - NATIONAL NEWS

नई दिल्ली।
यदि आप अपने लिए घर (फ्लैट, डुप्लेक्स, सिंगलेक्स, मकान आदि) खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए एक गुड न्यूज़ है। भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत घर खरीदने वाले और नए घरों का निर्माण करने वाले बिल्डर/ रियल एस्टेट डेवलपर्स को आयकर में राहत का प्रावधान किया है।

वर्ष 2018 तक, आयकर अधिनियम, 1961 ('अधिनियम') की धारा 43CA के तहत बिक्री के घोषित प्रस्ताव की तुलना में सर्कल दर के अधिक होने की स्थिति में रियल-स्टेट इन्वेंटरी के हस्तांतरण के लिए बिक्री प्रस्ताव पर स्टांप ड्यूटी मूल्य (सर्कल दर) की डीमिंग की सुविधा प्रदान की गई। नतीजतन, अधिनियम की धारा 56 (2) (x) के तहत खरीददार के मामले में स्टांप ड्यूटी मूल्य को खरीद प्रस्ताव के रूप में माना गया।

रियल एस्टेट डेवलपर्स और खरीददारों को राहत देने के उद्देश्य से, वित्त अधिनियम, 2018 द्वारा 5% का सेफ हारबर प्रदान किया गया था। तदनुसार, इन डीमिंग प्रावधानों को केवल उसी स्थान पर सक्रिय किया गया था जहां बिक्री/खरीद प्रस्ताव और सर्कल दर के बीच का अंतर 5% से अधिक था। इस मामले में और अधिक राहत प्रदान करने के लिए, वित्त अधिनियम, 2020 द्वारा इस सेफ हारबर को 5% से बढ़ाकर 10% कर दिया गया। इसलिए, वर्तमान में केवल रियल एस्टेट डेवलपर्स और खरीददारों के लिए उन्हीं स्थानों में सर्कल रेट को बिक्री/खरीद प्रस्ताव के तौर पर माना जाता है, जहां समझौते के मूल्य और सर्कल रेट के बीच अंतर 10% से अधिक है।

रियल-एस्टेट के क्षेत्र में मांग को बढ़ावा देने और रियल-एस्टेट डेवलपर्स को सर्किल रेट से काफी कम दर पर अपनी बिक्री नहीं हुई अचल सपत्तियों (अनसोल्ड इन्वेंट्री) को बेचने लायक बनाने और मकान के खरीददारों को लाभ देने के लिए, अधिनियम की धारा 43CA के तहत 2 करोड़ रुपये मूल्य तक की आवासीय इकाइयों की केवल प्राथमिक बिक्री के संबंध में इस सेफ हारबर को 12 नवंबर, 2020 से 30 जून, 2021 की अवधि के लिए 10% से और आगे बढ़ाते हुए 20% तक करने का निर्णय लिया गया है। 

तदनुसार, अधिनियम की धारा 56 (2) (x) के तहत उक्त अवधि के लिए सेफ हारबर को 10% से बढ़ाकर  20% तक करके इन आवासीय इकाइयों के खरीददारों को भी राहत दी जाएगी। इसके अनुरूप इन लेन-देनों के लिए सर्कल रेट को बिक्री/ खरीद के प्रस्ताव के रूप में तभी माना जाएगा, जब समझौते के मूल्य और सर्कल रेट के बीच का अंतर 20% से अधिक हो। इस संबंध में विधायी संशोधन नियत समय में प्रस्तावित किए जायेंगे।  

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