प्रॉपर्टी के लिए ब्लैकमेल करना: कितना गंभीर अपराध है और कितनी सजा, यहां पढ़िए - ASK IPC

आज हम जिस अपराध के बारे में बात कर रहे हैं, वह वर्तमान युग का एक गंभीर अपराध है। आज कल देखा जाता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को ब्लैकमेल करता है और गलत आरोप लगाने का भय दिखता है। ऐसा करना कितना गम्भीर अपराध है जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 388 की परिभाषा:-

कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा अभियोग (आरोप) लगाने का भय या धमकी देगा जो मृत्यु दण्ड या आजीवन कारावास या कोई ऐसा अपराध कायम कराने की धमकी देगा जो प्रकृति के विरुद्ध हो। ऐसा झूठा अभियोग या आरोप लगाने वाला व्यक्ति धारा 388 के अंतर्गत दोषी होता है। 
नोट:-भय या धमकी देने वाले व्यक्ति का उद्देश्य सम्पत्तिधारी से संपत्ति की जबर्दस्ती वसूली करना हो।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 388 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, यह संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- इस अपराध के लिए दस वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।

उधरणानुसार:- क, नामक व्यक्ति एक प्राइवेट जासूस है और उसने ख, नामक व्यक्ति के खिलाफ झूठे सबूत इकठ्ठे कर ख, को कहता है कि मुझे उचित संपत्ति दे नहीं तो मैं आपके खिलाफ हत्या का मामला कायम करवाऊँगा। यहाँ क, ने धारा 388 का अपराध किया है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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