यदि कोई अपराधी सजा माफी के बाद फिर से अपराध करे तो किस धारा के तहत मामला दर्ज होगा / ABOUT IPS

हम अक्सर राष्ट्रपति या राज्यपाल की शक्तियों के बारे में पढ़ते हैं। जिसमे किसी अपराधी की सजा को कम या माफ भी किया जाता है। वैसे ही भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 के अध्याय-32 में दण्ड - आदेशों का पूरा करना, निलबंन, परिहार (छोडना), और लघुकरण (संक्षिप्त करना) आदि के विषय में प्रावधान किया गया है। CRPC की धारा 432, 433 में दण्ड-आदेशों के निलंबन, परिहार करने की शक्ति एवं लघुकरण की शक्ति के बारे मे प्रावधान है। आज हम आपको बताएंगे कि CRPC की उपयुक्त धारा में मिली सजा की छूट का कोई अपराधी पालन नहीं करता तो भारतीय दण्ड संहिता की किस धारा के अंतर्गत दूबारा अपराधी होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 227 की परिभाषा:-

किसी अपराधी को उसके दण्ड-आदेशों में छूट दी जाए या उसकी सजा को कुछ समय बाद माफ कर दिया जाए कुछ शर्तों या नियमों के साथ, और वह अपराधी उन नियम या शर्तो का पालन नहीं करता है या जानबूझकर अनदेखा करता है तब वह व्यक्ति (अपराधी) इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 227 में दण्ड का प्रावधान:-

इस धारा के अपराध संज्ञये एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई उस न्यायालय द्वारा की जाती हैं जहाँ मूल अपराध विचारणीय था।
सजा - मूल दण्डादेश का दण्ड या दंड का भाग जो भोग लिया गया है या मूल अपराध की बची हुई शेष सजा।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665

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