लॉकडाउन के कारण बीड़ी मजदूर भुखमरी की कगार पर, वर्क फ्रॉर्म होम की मांग / JABALPUR NEWS

सिहोरा/जबलपुर। लॉकडाउन की वजह से प्रखंड भर के ग्रामीण क्षेत्रों मे बीड़ी श्रमिकों का रोजगार छिन गया। नतीजतन श्रमिक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। बीड़ी व्यापारियों का भी काफी नुकसान हो चुका है। 

बीड़ी श्रमिकों ने मांगा वर्क फ्रॉर्म होम 

श्रमिकों की मांग है कि बीड़ी श्रमिकों को लॉकडाउन के समय प्रशासन कुछ राहत प्रदान करते हुए कच्चा माल लाकर बीड़ी बनाने की अनुमति दे-ताकि प्रतिदिन कार्य कर कमाने वाले श्रमिकों को कुछ राहत मिल सके। जिले भर में हजारों की संख्या में श्रमिक बीड़ी बनाते हैं। बीड़ी व्यापारियों की ओर से प्रतिदिन कच्चा माल दिया जाता है। जहां इन बीड़ी श्रमिकों प्रतिदिन एक हजार बीड़ी बनाने पर ₹109 रुपए मिलते हैं। अब जिले भर के श्रमिकों को चिंता सता रही है। सैकड़ों बीड़ी श्रमिकों के खाने पीने की काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। एक-एक रुपए के मोहताज हो गए है। यदि लॉकडाउन की अवधि 17 मई के बाद भी बढ़ती है तो समस्या और बढ़ेगी।

वर्षों से बीड़ी बना रहे हैं, 2 वक्त की रोटी मुश्किल से मिली थी

बीड़ी बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले इन मजदूरों की हालत दयनीय बनी हुई है। आर्थिक दशा से बेहद कमजोर गरीबी और लाचारी के जिंदगी में जी रहे बीड़ी मजदूरों की हालत देखकर तरस आना स्वाभाविक है। अधिकांश ऐसे बीड़ी मजदूर हैं जो वर्षों से बीड़ी बना रहे हैं फिर भी उनके घरों में दो वक्त की रोटी के लिए लाले पड़े हैं। वर्षों से बीड़ी बनाकर अपने परिवार को पालने वाले ये मजदूर अपने मालिकों को अमीर तो बना दिया लेकिन आज भी इनकी पहचान एक बीड़ी मजदूर के रूप में ही की जाती है।

घर में बीड़ी बनाने की अनुमति क्यों नहीं

ग्राम खितौला खम्परिया सहित अन्य ग्राम की जमुना बाई, कमला बाई, मुन्नी बाई , रेखा आदि सहित सैकड़ों बीड़ी मजदुरों ने मांग उठाई की बीड़ी बनाने का काम घर पर ही करते हैं जिसमे सोशल डिस्टेंसिंग भी बनी रहती है फिर भी शराब की दुकानों तो खोल दिया लेकिन बीड़ी मजदूरों के लिए कोई का आदेश नही जिससे हम लोगों की जीविका चलाना बहुत ही कठिन हो रहा हैं बीड़ी मजदूरी की अनुमति नही मिलती तो इन मजदूरों की हालत बद से बद्दतर हो जाएगी। 

मानव अधिकार आयोग के जिला अध्यक्ष विनोद चौबे ने बताया कि जिले की एकमात्र बीड़ी कंपनी मोहनलाल हरगोविंद दास लॉक डाउन के बाद से बंद पड़ी हुई है जिससे बीड़ी मजदूरों का जीवन यापन चलता है लेकिंन अब इन मजदूरों का जीवन सीमित राशन तक ही सिमट कर सीमित रह गया । जिसमें हमारी मांग है कि बीड़ी मजदूरी की अनुमति दी जाए जाए जिससे इन मजदूरों का जीवन पटरी पर वापस आ सके।

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