सोशल मीडिया पर यदि किसी धर्म/रीति रिवाज का मजाक उड़ाया तो क्या कार्रवाई होगी, पढ़िए / ABOUT IPC

सोशल मीडिया के आने से पहले किसी धर्म/ धार्मिक रीति रिवाज/ धार्मिक महापुरुष के अपमान/ मानहानि के मामले बहुत कम नजर आते थे परंतु सोशल मीडिया के आने के बाद किसी भी धर्म और उसके रीति-रिवाजों का मजाक उड़ाना फैशन बनता जा रहा है। पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है परंतु ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं चलता कि कार्यवाही कब हो गई। आइए यहां हम आपको बताते हैं कि एक सामान्य व्यक्ति और धर्म विशेष के अनुयायियों द्वारा स्वीकार्य व्यक्ति की मानहानि, धार्मिक रीति-रिवाजों का मजाक उड़ाने की स्थिति में पुलिस किस धारा के तहत मामला दर्ज करेगी और कोर्ट में कितनी सजा मिलेगी।

भारतीय दण्ड संहिता की धारा, 295-क, की परिभाषा

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी भी धर्मों के बारे में:-
1. मौखिक, लिखित, चिन्हों या दृश्य (वीडियो) द्वारा आदि से ठेस पहुंचाएगा।
2. बुरी या बदले की भावना से जानबूझकर कर किसी भी धर्म का अपमान करेगा।
3. किसी भी वर्ग विशेष के धार्मिक व्यक्ति को अन्य धर्म के प्रति भड़काने का कार्य करेगा।
4.किसी भी धर्म विशेष के बारे में जानबूझकर गलत या विदेषपूर्ण (विद्रोह संबंधित) लेखन प्रकाशन करना आदि।

नोट:- किसी भी धर्म का प्रचार-प्रसार करना, संवैधानिक अधिकार है, यह कोई दंडनीय अपराध नहीं होगा एवं भारत के बाहर से धर्मों या विदेश के धर्मो पर टिप्पणी करना भी इस धारा में दण्डिनीय अपराध नहीं है।

पूर्व-स्वीकृति (पहले अनुमति):

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 196 (1) के अंतर्गत संबंधित राज्य या केंद्र सरकार से पहले अनुमति प्राप्त करना जरूरी है। तब ही न्यायालय द्वारा धारा 295- क, के अपराध पर संज्ञान लिया जाएगा।

भारतीय दण्ड संहिता की धारा, 295-क दण्ड का प्रावधान:-

धारा 295- क, का अपराध किसी भी तरह का समझौता योग्य नहीं होता है, यह अपराध संज्ञये एवं अजमानतीय होते हैं। प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा इस अपराध की कार्यवाही की जाती हैं। 
सजा:- धारा 295 - क, के अपराध में तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से ही दण्डित किया जा सकता है।

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 298 की परिभाषा

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 298, धारा 295 -क, का एक रूप ही है, कम एवं सरल में कहे तो धारा 298 का अपराध वहाँ लागू होता है किसी व्यक्ति द्वारा किसी भी अन्य धर्म- विशेष या विशेष धर्म के पूजनीय योग्य महापुरुष के बारे में जानबूझकर कर गलत उच्चारण किया गया हो या बोला गया हो या लाउडस्पीकर (ध्वनि) के द्वारा गलत जानकारी दी जा रही है हो, तब धारा 298 के तहत दोष सिद्ध होगा।

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 298 दण्ड का प्रावधान:-

धारा 298 का अपराध समझौता योग्य होता हैं, यह अपराध असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है एवं जमानतीय भी होता है।कोई भी मजिस्ट्रेट इस धारा के अपराध पर सुनवाई कर सकता है। धारा298 के दोषी को एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डिनीय किया जा सकता है

उधारानुसार:- रामू नामक  व्यक्ति किसी अन्य विशेष धर्म के बारे मे लोगों को जानबूझकर गलत जानकारी देता है, और जानबूझकर उस धर्म का अपमान करता है एवं गलत-गलत टिप्पणियां लिखता है, एवं गलत गलत वीडियो भी सोशल मीडिया पर भेजता है। इससे विशेष-धर्म के मान- सम्मान को ठेस पहुंचती हैं। यहां पर रामू धारा 295-क, के अंतर्गत दोषी होगा।
बी. आर.अहिरवार होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!