मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया, अब ईंटें ढो रहे हैं / EMPLOYEE NEWS

भोपाल। संयुक्त अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश सदस्य एवं जिला रायसेन के कार्यकारी जिलाध्यक्ष श्री रामलखन लोधी ने बताया कि मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षकों की दुर्दशा बंधुआ मजदूरों से भी बदतर हो गई है। विगत 12 वर्षों से शासकीय विद्यालयों में बहुत ही अल्प मानदेय पर सेवाएं देने के बाद भी अतिथि शिक्षकों का भविष्य असुरक्षित और अंधकारमय है।

माननीय प्रधानमंत्री जी के वक्तव्य के अनुसार कोरोना महामारी में लॉकडाउन अवधि में किसी भी कर्मचारी को नौकरी से बाहर न करने तथा सभी को वेतन देने का बोला गया है। फिर भी शोषणकारी नीति की वजह से प्रदेश शासन द्वारा अतिथि शिक्षकों को 30 अप्रैल तक वेतन देने का आदेश निकाला गया, उसके बाद अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियां स्वतः समाप्त हो गई। जिसकी वजह से मई माह से मध्य प्रदेश के 70,000 से अधिक अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो गए।

इसी बजह से 1 महीने पहले तक जिन हाथों में देश के भविष्य नौनिहालों को पढ़ाने की जिम्मेदारी थी, जिन हाथों में 1 माह पहले तक कलम थी आज वही हाथ अपने परिवार का पेट भरने के लिए ईंट, मिट्टी ढो रहे हैं, तेंदूपत्ता तोड़ रहे है।

जिला रायसेन के ब्लाक सिलवानी के गणित विषय से बीएससी एवं डीएड के करने के बाद भी इस मजबूर गरीब अतिथि शिक्षक को अपने परिवार का पेट पालने के लिए ईंट ढोकर मजदूरी करनी पड़ रही है वजह शासन प्रशासन की शोषणकारी नीतियां।

संयुक्त अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश सदस्य एवं जिला रायसेन के कार्यकारी जिलाध्यक्ष श्री रामलखन लोधी ने बताया कि अतिथि शिक्षकों के समर्थन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई पूर्व मंत्रियों, विधायकों ने माननीय मुख्यमंत्री जी को अतिथि शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए पत्र लिख चुके हैं लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया।

सिलवानी ब्लॉक अध्यक्ष श्री सुनील विश्वकर्मा द्वारा बताया गया कि पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व शिक्षा मंत्री के बीच अतिथि शिक्षकों के की वजह से टि्वटर वार हुआ है जिसमें दोनों अतिथि शिक्षकों को माध्यम बनाकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं।
   
कार्यकारी जिलाध्यक्ष रामलखन लोधी ने बताया है कि संगठन की ओर से माननीय मुख्यमंत्री के द्वारा अतिथि शिक्षकों की सेवाएं जून माह तक ली जाएं तथा 12 माह का सेवाकाल किया जाए। आरटीई नियमों के अनुसार पात्र एवं अनुभवी अतिथि शिक्षकों को नियमित किया जाए। अतिथि शिक्षकों के हित में दिल्ली, हिमाचल प्रदेश एवं अन्य राज्यों की तरह स्थाई नीति बनाकर 12 माह का सेवाकाल एवं वेतनमान दिया जाए।

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