और कुछ नहीं, कम से कम आंकड़े सही हो | EDITORIAL by Rakesh Dubey

सारे विश्व की भृकुटी चीन की तरफ फिर तिरछी होने लगी है | नए आंकड़ों के मुताबिक वुहान में मृतकों की संख्या में १२९० का इजाफा हुआ है और अब कुल मृतक ३८६९ हो गए हैं. जबकि कुल केसों में ३२५  का इजाफा हुआ और कुल मामलों की संख्या ५०३३३ हो गई है| चीन ने वुहान शहर में कोरोना वायरस में से मरने वालों की संख्या में अचानक 50 फीसदी तक बढोत्तरी हो गई है. इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि चीन ने पहले दिए गए आंकड़ों में सुधार किया है और अब जो नए आंकड़े आए हैं उसके मुताबिक मरने वालों की संख्या पहले बताए गए आंकड़ों से ५० प्रतिशत ज्यादा हैं. इसके बाद पूरी दुनिया एक बार फिर चीन को शक की निगाह से देखने लगी है कि कहीं वो वास्तविक स्थिति बाकी दुनिया से छिपा तो नहीं रहा है| दुनिया के हक में है, कोई भी देश कम से कम आंकड़े न छिपायें|

भारत के लिए तो इस चिंता से इतर दूसरी बात है, कोरोना के मामले अब भारतीय नौसेना में भी मिले हैं | खबर है कि इस घातक वायरस ने भारतीय नौसेना के जवानों को भी संक्रमित करना शुरू कर दिया है| बताया जा रहा है कि पश्चिमी नौसेना कमान के तट पर मौजूद लॉजिस्टिक और एडमिनिस्ट्रेटिव सपोर्ट बेस आई एन एस आंग्रे पर १९ जवान कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं| वहीं दावा किया जा रहा है कि पॉजिटिव पाए गए जवानों की संख्या २०  भी हो सकती है| आई एन  एस आंग्रे महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के तट पर मौजूद है|

वैसे यह देश के लिए पहला मामला है जब इतनी अधिक संख्या में सैन्य कर्मियों का कोविड-१९  के लिए इलाज चल रहा है| भारतीय थलसेना में अभी तक इस जानलेवा वायरस के आठ मामले सामने आए हैं| नौसेना ने एक बयान में बताया, मुंबई में नौसैन्य परिसरों के भीतर सेवारत कुल २१ कर्मी कोविड-१९ से संक्रमित पाए गए हैं, इनमें आईएनएस आंग्रे के २०  नौसैनिक शामिल हैं|उधर पूरी दुनिया एक बार फिर चीन को शक की निगाह से देखने लगी है कि कहीं वो वास्तविक स्थिति बाकी दुनिया सेछिपा तो नहीं रहा है| वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन [WHO] ने कहा है कि चीन जैसे हालात का सामना पूरी दुनिया को भी करना पड़ेगा|भारत और भारतीय नौ सेना के लिय यह गंभीर चुनौती है |

वुहान के बारे में डब्लूएचओ का कहना है कि वुहान में दिसंबर के महीने में पहला मामला सामने आने के बाद इस बीमारी ने भयावह रूप ले लिया था पूरा शहर इसकी चपेट में था. वहां के अधिकारियों की कोशिश थी कि हर मौत का आंकड़ा और बीमार होने वाले की संख्या उनके रजिस्टर में दर्ज हो|लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि शुरू में बीमारी फैलने की बात पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश की गई. उन डॉक्टरों को भी सजा दी गई जो इस खतरे से आगाह कर रहे थे. इसके साथ ही जब यह बीमारी अपने चरम पर थी तो चीन की सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर भी सवाल उठ रहे थे क्योंकि वह बार-बार अपने आंकड़ों को इकट्ठा करने की प्रक्रिया में बदलाव कर रही थी| 

भारत में भी अभी आंकड़े स्थिर नहीं हुए हैं |विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि जब बीमारी फैलती है तो उस दौरान आंकड़ों को इकट्ठा करना अपने आप में एक चुनौती होती है क्योंकि सभी केसों को पहचान करना भी मुश्किल होता है| विश्व स्वास्थ्य सन्गठन में कोरोना मामलों के देखरेख के लिए बनी विंग की अध्यक्ष मैरिया वैन ने कहा कि वह मानती हैं कि बहुत से देशों को भी चीन की तरह अपने रिकॉर्डों में बदलाव करना पड़ेगा| इसी तर्क के आधार पर यह चिंता है कि देश में विशेष तौर पर नौ सेना और सेना में क्या सभी केसों की पहचान कर ली होगी?

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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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