सरकार निर्धन और महिलाओं को फ्री वकील उपलब्ध कराती है, क्या आप जानते हैं | DO YOU KNOW

भारत में बहुत सारे विवाद न्याय की परिधि में आने से पहले ही खत्म हो जाते हैं क्योंकि बलवान पक्ष, कमजोर पक्ष पर दबाव बना लेता है और कमजोर व्यक्ति एक अच्छे वकील के अभाव में हार मानकर समझौते कर लेता है लेकिन क्या आप जानते हैं भारत सरकार निर्धन नागरिकों एवं महिलाओं को अपनी तरफ से वकील उपलब्ध करा दी है जो कोई फीस नहीं लेता एवं वह सभी सेवाएं उपलब्ध कराता है जो एक प्राइवेट एडवोकेट मोटी फीस के बदले कराता है। सरकार की इस सेवा को 'विधिक सहायता' कहते हैं।

विधिक सहायता उन व्यक्तियों को शासकीय वकील उपलब्ध कराना है। जो फीस देने मे असमर्थ हैं। विधिक सहायता न केवल न्यायालय में मामलों के प्रतिनिधित्व से है बल्कि इसमें उनके साधारण समझौता, उनके अधिकार एवं दायित्वों के बारे में जानकारी सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य व्यक्ति, स्त्री एवं बच्चों को शोषण एवं अत्याचार के विरुद्ध उपचार दिलाना हैं, केवल गरीबी के कारण उन्हें विधि का संरक्षण से मना न किया जाए। 

विधिक सहायता संवैधानिक अधिकार

विधिक सहायता को भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त हैं क्योंकि अनुच्छेद 14 समानता के अधिकार प्रदान करता है। अगर हम कहें कि यदि भारत में किसी गरीब, निर्धन एवं असहाय लोगों को विधिक सहायता न दी गई तो वह पिछड़ जाएगा। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 304 तथा दीवानी प्रकिया संहिता का आदेश 33 भी गरीब एवं असहाय लोगों को विधिक सहायता प्रदान करने की कहती हैं।

इन लोगों को नि: शुल्क विधिक सहायता (शासकीय अधिवक्ता) उपलब्ध होती  हैं

1. भारत का कोई भी नागरिक जो गरीबी रेखा के अंतर्गत जीवन यापन करता है जिसकी वार्षिक आय 35000 रु. से अधिक न हो।
2. 16 वर्ष से कम उम्र के आपराधिक मामले के अपराधी।
3. अनु. जाति एवं अनुसूचित जन जाति वर्ग के लोग।
4. कोई भी कैदी या मुकदमे की कार्यवाही भुगत रहे वे व्यक्ति जो गिरफ्तारी में है।

5. महिलाओं को निम्न मामले में विधिक सहायता दी जाती हैं:-

i. विवाह संबंधित किसी भी मामले में।
ii. दहेज विरोधी कानून के तहत कोई मामला दर्ज हो।
iii. यदि किसी महिला ने अपहरण या बलात्कार के मामले में कोई कार्यवाही शुरू की हो।
iv. विवाहित या तलाकशुदा महिला ने अपने हक की रकम वसूल करने का मुकदमा किया हो।
v. किसी महिला ने भरण पोषण भत्ता पाने हेतु कार्यवाही की हो।

विधिक सहायता कैसे ली जाएगी एवं कहां संपर्क किया जाएगा

किसी भी व्यक्ति के साथ कोई भी अपराध घटित होता हैं। तब वह घबरा जाते हैं। ओर बड़े-बड़े वकील के पास जाते हैं अगर पैसे वाले हैं तो वह कुछ भी कर सकते हैं। मगर कोई गरीब व्यक्ति है तो वह अपनी हार मान लेता है क्योंकि उसके पास इतने पैसे नहीं होते की वह कोई की वह इन लोगों का मुकाबला कर सके इस लिए हमारे भारतीय संविधान में विधिक सहायता को मान्यता दी है। आप विधिक सहायता लेने के लिए निम्न स्थान पर जाए:-

1. जिला एवं सत्र न्यायालय के मुख्यालय पर चल रहे मुकदमों हेतु वहाँ के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश से सम्पर्क करें।
2. अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय मुख्यालय पर चल रहे मुकदमों हेतु वहां के अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट से सम्पर्क करें।
3. जिला मुख्यालय से बाहर स्थित न्यायालयों में चल रहे मुकदमे हेतु वहाँ के वरिष्ठतम अधिकारी से सम्पर्क करें।
4.यदि आपका मामला उच्च न्यायालय से संबंधित है तो उस राज्य के विधिक सहायता बोर्ड या राज्य उच्च न्यायालय विधिक सहायता समिति से संपर्क करे।
5. यदि आपका मामला राजस्व मंडल से संबंधित है तो वहां के सचिव, राजस्व मंडल, विधिक सहायता समिति से संपर्क करें।
6. अगर श्रम, औधोगिक सेवा, मोटर दुर्घटना अभिकरणों व पारिवारिक न्यायलयों में चल रहे मामलों हेतु संबंधित पीठासीन अधिकारी से सम्पर्क करें।
इसके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति संबंधित न्यायलयों में जाकर विधिक सहायता प्रधिकरण से सहायता प्राप्त कर सकते है।
बी. आर. अहिरवार, होशंगाबाद(पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!