भोपाल। शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन बासी भोजन से मां शीतला को भोग लगाकर वही भोजन ग्रहण किया जाता है। शीतला अष्टमी को बसोड़ा (Basoda) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन क्या करें और क्या न करें यह जानकर आप मां शीतला की पूजा में होने वाली गलतियों से बच सकते हैं।
शीतला अष्टमी पर यह अवश्य करें
1. शीतला अष्टमी के दिन ठंडा भोजन यानी एक दिन पहले का बने भोजन से मां शीतला को भोग लगाया जाता है और उसी भोजन को ग्रहण किया जाता है।
2.इस दिन शीतल जल से ही स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में शीतलता तो आती ही है साथ ही मां शीतला भी प्रसन्न होती हैं।
3. माता शीतला के भोग में मीठे पूए, दही और चावल अवश्य रखें क्योंकि इनके बिना मां शीतला का भोग अधूरा माना जाता है।
4.शीतला अष्टमी के दिन अपने घर में झाडू और सूप जरूर लेकर आएं और इनकी पूजा अवश्य करें। इनका उपयोग बिल्कुल भी न करें।
5. इस दिन मां शीतला की पूजा होलिका दहन वाले स्थान पर की जाती है। इसलिए वहीं जाकर मां शीतला की पूजा करें।
6. मां शीतला की पूजा करने के बाद हल्दी को अपने घर के घर के सभी बच्चों के माथे पर अवश्य लगाएं। ऐसा करने से उनको किसी भी प्रकार का कोई रोग नहीं सताएगा।
7. इस दिन किसी भी मंदिर में झाडू और सूप का दान भी किया जाता है। इसलिए यदि संभव हो तो शीतला माता के मंदिर में झाडू और सूप का दान अवश्य करें।
8. शीतला अष्टमी के दिन कुम्हारन को प्रसाद के रूप में कुछ न कुछ अवश्य देना चाहिए और साथ ही दक्षिणा भी देनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जब तक कुम्हारन कुछ नहीं खाती है तब तक शीतला माता की पूजा सफल नहीं होती।
9. माता शीतला का वाहन गधा माना जाता है। इसलिए इस दिन यदि संभव हो तो किसी गधे की सेवा अवश्य करें। ऐसा करने से आपको मां शीतला का आशीर्वाद प्राप्त होगा।