ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास सिपहसालार ने बताया वह अब भी कांग्रेस में क्यों है | MP NEWS

भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास सिपहसालार रहे पूर्व विधायक एवं कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत आज भोपाल में मीडिया के सामने उपस्थित हुए। उन्होंने सवाल-जवाब के दौरान बताया कि वह क्यों ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में नहीं गए बल्कि अब भी कांग्रेस में हैं। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया, रामनिवास रावत को अपने साथ भाजपा में नहीं लाए

पूर्व विधायक एवं कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत ने बताया कि हमने सिंधिया जी को नहीं छोड़ा बल्कि सिंधिया जी ने हमें छोड़ दिया है। यानी इस्तीफा देने से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने जन विश्वास पात्र लोगों से सलाह मशवरा किया था, उनमें रामनिवास रावत नहीं थे। 

बागी विधायक भोपाल आते ही सिंधिया जी का साथ छोड़ देंगे: रामनिवास रावत का दावा 

कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत ने दावा किया है कि बेंगलुरु में जो 22 विधायक हैं, उन पर दबाव बनाया गया है। जैसे ही वह भोपाल आएंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ छोड़ देंगे। उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। वह स्पीकर के सामने पूरा सच बयां कर देंगे। 

क्यों कोई माता-पिता अपने बच्चे का नाम विभीषण नहीं रखता: रामनिवास

रामनिवास रावत ने कहां की भाजपा ने भोपाल में उनके स्वागत में उन्हें विभीषण की उपाधि दे दी। अब ये सही संदर्भ में है या गलत, लेकिन हमारे देश में कोई माता-पिता अपने बच्चों का नाम विभीषण नहीं रखते। 

सिंधिया समर्थक रामनिवास रावत ने बताया उन्हें क्या ऑफर मिला था

पूर्व विधायक रामनिवास रावत ने कहा - सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने मुझे राज्यसभा चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन मैंने राज्यसभा का टिकट ठुकरा दिया। अगर मैं चुनाव लड़ता, तो लोग यह आरोप लगाते कि मैंने राज्यसभा के लालच में सिंधिया का साथ छोड़ा है। रामनिवास रावत के बयान का एक अर्थ यह भी निकलता है कि सिंधिया समर्थकों को कांग्रेसमें रोकने के लिए दिग्विजय सिंह से लेकर सोनिया गांधी तक सभी स्तर पर हर संभव कोशिश की जा रही है।

चुनाव हारने के बाद रामनिवास को सिंधिया गुट में मैं तो नहीं मिलता था 

सिंधिया समर्थकों का कहना है कि रामनिवास रावत को ज्योतिरादित्य सिंधिया काफी महत्व देते थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया की सिफारिश पर ही उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। विधानसभा का टिकट भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ही उन्हें दिया था लेकिन जब चुनाव का वक्त आया तो एक के बाद एक रामनिवास रावत की असलियत और झूठ सामने आने लगे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें महत्व देना बंद कर दिया था। 

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