ग्वालियर में कोरोना लिए डॉक्टर नहीं, विधायक तक के पसीने छूट गए | GWALIOR NEWS

ग्वालियर। ग्वालियर शहर में कलेक्टर ने टोटल लॉक डाउन तो घोषित कर दिया परंतु उन्होंने यह सुनिश्चित नहीं किया कि यदि कोई व्यक्ति कोरोनावायरस के संक्रमण की जांच कराना चाहता है या फिर किसी संदिग्ध व्यक्ति को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करना है तो यह सब कुछ कैसे होगा। मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 के अनुसार यह जिम्मेदारी CMHO की है परंतु वह अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे। कलेक्टर उन्हें कर्तव्य पर डटे रहने के लिए बात नहीं कर पा रहे। हालात यह है कि एक महिला को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराने के लिए विधायक प्रवीण पाठक के पसीने छूट गए।

एक महिला को भर्ती कराने के लिए विधायक को हंगामा करना पड़ा

JAH में कोरोना संदिग्ध एक महिला को DOCTORS ढाई घंटे तक इधर से उधर भटकाते रहे। जब विधायक प्रवीण पाठक इस महिला को भर्ती कराने पहुंचे तो आइसोलेशन वार्ड में कोई डॉक्टर ही नहीं था। विधायक की नाराजगी के बाद प्रभारी डीन, अधीक्षक, कलेक्टर और सीएमएचओ पहुंचे। विधायक ने कहा कि मेरे पूछने पर भी यह तक नहीं बताया गया कि कौन डॉक्टर आइसोलेशन में ड्यूटी पर है। आम मरीज क्या करेगा।

लापरवाही प्रमाणित हुई फिर भी लाचार कलेक्टर सिर्फ निर्देश देते रहे

जेएएच में अव्यवस्थाओं को देखकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने डीन डॉ. सरोज कोठारी से कहा, आपके यहां व्यवस्थाएं ठीक नहीं हैं। मुझे ब्रीफ करके दिखाइए। डीन बोलीं- हमारी टीम लगी है। विधायक बोले- कहां है आपकी टीम, यहां किसी को कुछ पता ही नहीं है। ढाई घंटे से महिला इलाज के लिए भटक रही है कोई देखने वाला नहीं।  कलेक्टर ने कहा- मैं ग्वालियर की स्थिति देखकर बहुत निराश हुआ हूं। मेडिकल कॉलेज से हमें उम्मीद होती है कि आप हजारों लोगों को ठीक करोगे लेकिन यहां यह हालात हैं। इसे ठीक करें, आवश्यकता पड़े तो रूटीन ओपीडी बंद कर दें और जो यहां मरीज आए उसकी स्क्रीनिंग की व्यवस्था करें। इसके बाद महिला को बीआईएमआर के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया।

JAH के डॉक्टर ही कोरोना वायरस का संक्रमण फैला रहे हैं

बहोड़ापुर से आई कोरोना वायरस की संदिग्ध महिला को लेकर उनका बेटा सोमवार को कैजुअल्टी पहुंचा। यहां डॉक्टर ने महिला की स्थिति देखकर उन्हें मेडिसिन आईसीयू भेज दिया। जब वह आईसीयू पहुंचीं तो कहा गया कि वह कोल्ड ओपीडी में जाकर दिखाएं। जब वह कोल्ड ओपीडी पहुंचीं तो डॉक्टर ने पर्चा बनाने के लिए कहा। परिजन ने कहा कि पर्चे नहीं बन रहे हैं तो कोल्ड ओपीडी वालों ने फिर से कैजुअल्टी भेज दिया। कैजुअल्टी में मेडिसिन का कोई एसआर नहीं था। लिहाजा डॉक्टरों ने महिला को आइसोलेशन वार्ड भेज दिया। आइसोलेशन वार्ड में नर्स ने कह दिया कि डॉक्टर नहीं हैं, बाहर इंतजार करो। कुल मिलाकर कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीज को यहां वहां घुमाया गया। भगवान ना करे लेकिन यदि वह कोरोनावायरस पॉजिटिव है तो JAH डॉक्टरों के कारण पता नहीं कितने और लोग संक्रमित हो चुके हैं।

विधायक प्रवीण पाठक की तो नर्स भी नहीं सुनती

विधायक एक जनप्रतिनिधि होता है। उसका अपना एक सम्मान होता है। एक प्रोटोकॉल होता है। प्रशासनिक अधिकारियों को उसके सवालों का जवाब देना ही होता है परंतु यह सब कुछ JAH में नहीं होता। विधायक प्रवीण पाठक जब अस्पताल पहुंचे और उन्होंने महिला को परेशान होते हुए देखा तो नर्स से सवाल किया कि यह डॉक्टर कौन है उसका नाम बताइए। नर्स ने नाम तो नहीं बताया बल्कि कुछ इस तरह से बात की, विधायक प्रवीण पाठक जहर का घूंट पीकर रह गए।

एक मरीज को भर्ती कराने विधायक को क्या-क्या करना पड़ा

विधायक ने अधीक्षक को फोन लगाया। अधीक्षक ने कहा, डॉ. नीलिमा सिंह देख रही हैं, आप उनसे या डॉ. ओपी जाटव से बात कर लें। इसके बाद विधायक ने डीन को फोन लगवाया तो जवाब मिला कि यहां आ जाइए कलेक्टर भी आ रहे हैं। इसपर विधायक नाराज हो गए और बोले- मैं यहां कलेक्टर या आपके साथ चाय पीने नहीं आया हूं। काेरोना वायरस को लेकर यहां कोई व्यवस्था नहीं है, मरीज भटक रहे हैं। यह मत सोचिए कि हमारी सरकार चली गई तो मैं कुछ नहीं कर सकता। विधायक की नाराजगी को देखते ही कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, सीईओ जिला पंचायत शिवम वर्मा और अधीक्षक डॉ. अशोक मिश्रा सहित अन्य अधिकारी पहुंच गए।

बेटा बोला मां में संक्रमण के लक्षण है, डॉक्टर ने कहा कुछ नहीं है घर जाओ

सीएमएचओ डॉ. एसके वर्मा ने कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह से स्पष्ट कह दिया कि मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर किसी केस को अटेंड नहीं करते हैं। यहां तक कि जो मरीज सीरियस है, उसे भी नहीं देख रहे हैं। कल भी एक गंभीर मरीज को भेज दिया था और आज यह महिला 2-3 घंटे से यहां परेशान हो रही है। कलेक्टर ने जब पूछा महिला की स्थिति कैसी है तो डॉक्टर बोले- ठीक है वायरल का असर दिखाई दे रहा है। उसे घर भेजा जा सकता है। महिला को बेटा बोला- सर, उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इसपर कलेक्टर ने सीएमएचओ से कहा- इस महिला को बीआईएमआर हॉस्पिटल भिजवाओ।

अधीक्षक ने ऐसे जवाब दिए कि कलेक्टर कसमसा कर रह गए

अधीक्षक डॉ. अशोक मिश्रा कलेक्टर से बोले- हमारे यहां मास्क और सेनिटाइजर की कमी हो रही है, इसकी व्यवस्था करा दें। कलेक्टर बोले- आप लोग कुछ करने में सक्षम हैं या नहीं- अधीक्षक बोले- ऑर्डर कर दिए हैं, इतने ही सक्षम हैं। कलेक्टर बोले- यह बहुत बुरा व्यवहार है, सब प्रशासन के भरोसे सोच रहे हैं। आपका मेडिकल कॉलेज है, हमें उम्मीद है कि हजारों लोगों को ठीक कर सकते हो और यहां स्थिति यह है। मैं संभागायुक्त के साथ बैठक कर पूरी व्यवस्थाएं ठीक कराता हूं।

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