अतिथि विद्वानों ने कहा: कोरोना कंट्रोल के लिए हम बिना वेतन सेवा देने को तैयार | ATITHI VIDWAN NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 107 दिन से लगातार आंदोलन कर रहे आदित्य विद्वानों ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए शुरू हुए सरकारी प्रयासों में भागीदारी के लिए कदम बढ़ाया है। आंदोलनकारियों का कहना है कि नियमितीकरण होने तक आंदोलन जारी रहेगा लेकिन यदि सरकार को संक्रमण की रोकथाम के लिए किसी भी स्तर पर हमारी जरूरत है तो हम बिना वेतन के सेवा देने को तैयार हैं। यहां बताना जरूरी है कि आंदोलन कर रहे सभी अतिथि विद्वान उच्च शिक्षित हैं एवं किसी भी प्रकार की सहायता के लिए सक्षम है। 

हमारे पास वेतन नहीं है लेकिन हम श्रमदान कर सकते हैं

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने के लिए समाज का हर वर्ग सरकार को सहायता करने के लिए तैयार है। जिन कर्मचारियों को नियमित रूप से मासिक वेतन मिलता है वह अपने वेतन का एक हिस्सा दान कर रहे हैं। हम लोगों को कमलनाथ सरकार ने वेतन ही नहीं दिया। हम महीनों से भूखे हैं। कर्ज में डूबे हैं लेकिन फिर भी हम अपनी योग्यता और क्षमता का दान करने के लिए तैयार हैं। हम सभी Phd हैं, मैनेजमेंट और कम्युनिकेशन में हम किसी भी दूसरे विकल्प से ज्यादा उचित हो सकते हैं। हम कॉल सेंटर संभाल सकते हैं, हम क्राइसिस मैनेजमेंट कर सकते हैं। सोशल मीडिया की मदद से पब्लिक को पैनिक होने से रोक सकते हैं। अफवाहों के खिलाफ जंग लड़ सकते हैं। हमारा आंदोलन इस बात का प्रमाण है कि हम हार नहीं मानते, यदि सरकार चाहे तो हम जनता को कोरोना वायरस से लड़ाई में जीतने तक लड़ते रहने का हौसला देंगे। हम मॉनिटरिंग कर सकते हैं। हम सुपरविजन कर सकते हैं। हम सूचना और शिकायतों को फिल्टर कर सकते हैं। और भी बहुत कुछ कर सकते हैं। 

कोरोना के खिलाफ सरकार की जंग में हरसंभव सहयोग देंगे अतिथि विद्वान

अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार उच्च शिक्षित एवं एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते अतिथि विद्वान अपनी हर ज़िम्मेदारी को भली प्रकार समझते हैं। हम किसी भी तरह से राज्य शासन में लिए किसी भी प्रकार की समाया न बनकर सरकार के सहयोगी के रूप में हरसंभव सहयोग सरकार को करना चाहते हैं। एक शिक्षक के रूप में हमें हमारी ज़िम्मेदारी का पूरा अहसास है। नई सरकार से हमें पूर्ण आशा है कि अपने अधूरे छोड़े हुए अतिथिविद्वान नियमितीकरण के कार्य को भाजपा सरकार अवश्य पूरा करेगी 

मुख्यमंत्रीजी अतिथि विद्वानों के संघर्ष से परिचित हैं

अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय के अनुसार 15 माह का कांग्रेसी शासनकाल अतिथि विद्वानों के संघर्ष का समय रहा है। हमने इन दौरान छिन्दवाड़ा से लेकर भोपाल तक अपनी लड़ाई लड़ी है। जबकि विपक्ष में रहते माननीय मुख्यमंत्रीजी हमारे संघर्ष से भली प्रकार परिचित रहे हैं। इसलिए उन्होंने विधानसभा में भी अतिथिविद्वानों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। अब जबकि वो सत्ता में है हमें आशा है की वे हमारी नियमितीकरण की मांग अवश्य सुनेंगे।

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