LIC को भारी घाटा हो सकता है, मैनेजमेंट तनाव में

नयी दिल्ली। अनिल अंबनी ग्रुप की कंपनियों और डीएचएफएल को कर्ज देना एलआईसी को भारी पड़ता दिख रहा है। सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि इसने मार्च 2019 में समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए संदिग्ध एसेट्स के लिए प्रोविजनिंग 30 फीसदी बढ़ा कर 23,760 करोड़ रुपये कर दी है। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी का यह लोन डूब भी सकता है। 

एलआईसी ने प्रोविजन बढ़ाने का फैसला यह एसेट क्वालिटी और रियल एस्टेट, लोन और अन्य संपत्तियों में निवेश के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद लिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एलआईसी का एक्सपोजर यानी लोन कई संकटग्रस्त कंपनियों पर है, जिनमें दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड या डीएचएएफएल, इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग और अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की कंपनियाँ शामिल हैं। 

2018-19 के लिए 18,195 करोड़ रुपये का प्रोविजन पहले एलआईसी ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 18,195 करोड़ रुपये का प्रोविजन बनाया था। कंपनी का सकल एनपीए रेशियो भी 2017-18 में 6.23 फीसदी के मुकाबले 2018-19 में घट कर 6.15 फीसदी आ गया था। इसी दौरान एलआईसी का शुद्ध एनपीए रेशियो भी 1.82 फीसदी से गिर कर 0.27 फीसदी रह गया था। 

मात्रा में देखें तो 31 मार्च को 4 करोड़ रुपये कुल दिये गये कर्ज में से एलआईसी के एनपीए 24,777 करोड़ रुपये के थे। इसमें से संदिग्ध संपत्ति 16,690 करोड़ रुपये, लॉस एसेट्स 6,722 करोड़ रुपये और सब-स्टैंडर्ड एसेट्स 1,312 करोड़ रुपये की थी।   

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