भोपाल। भोपाल पुलिस की संवेदनहीनता के कारण आज अशोका गार्डन क्षेत्र में 5 साल की मासूम बच्ची का रेप हो गया। बदमाश ने पड़ोस में रहने वाली 5 साल की मासूम को चॉकलेट का लालच दिया और अपने घर में ले जाकर गंदी फिल्म दिखाते हुए रेप किया। पता चला है कि इससे पहले भी इसी बदमाश का इसी तरह का एक और मामला सामने आया था। मामला पुलिस के पास तक पहुंचा था परंतु पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। सड़क पर हंगामा करने वाले के खिलाफ धारा 151 के तहत कार्रवाई करने वाली पुलिस इस मामले में दलील दे रही है कि दोनों पक्षों के बीच राजीनामा हो गया था। इसके कारण एक अपराधी को खुलेआम घूमने दिया गया।
मामला क्या है
मामला अशोका गार्डन इलाके का है। एएसपी संजय साहू के मुताबिक बच्ची केजी-2 की छात्रा है। सोमवार शाम करीब सात बजे बच्ची के पिता अपने काम पर गए थे, जबकि मां छोटे बेटे को साथ लेकर चायपत्ती लेने गई थी। उस वक्त बच्ची घर के सामने खेल रही थी। तभी रामबाबू मालवीय आया और चॉकलेट के लिए दस रुपए देने के बहाने बच्ची को गोद में उठा लिया। चॉकलेट दिलाने के बहाने उसे अपने घर ले गया। घर के अंदर उसने पोर्न फिल्म दिखाना शुरू कर दिया। यहां उसने बच्ची के साथ अश्लील हरकत शुरू कर दी। तेज दर्द होने के कारण बच्ची जोर-जोर से रोने लगी। उसकी आवाज सुनकर पास में रहने वाली बुआ रामबाबू के घर पहुंची। दरवाजा अंदर से बंद होने के कारण पड़ोसियों को बुलाकर उन्होंने दरवाजा खुलवाया। आरोपी ने जैसे ही दरवाजा खोला, बच्ची मौका पाकर घर से बाहर की ओर भागी। इस बीच लोगों ने आरोपी को पकड़कर अशोका गार्डन पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने आरोपी रामबाबू मालवीय के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।
4 महीने पहले कार्रवाई की होती तो यह घटना नहीं होती
पड़ोसियों ने बताया कि 4 महीने पर पहले भी रामबाबू मालवीय ने इसी तरह की एक हरकत की थी। मामला पुलिस की चौखट तक भी पहुंचा था परंतु पुलिस ने कार्यवाही नहीं की। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने पीड़ित लड़की के पिता से माफी मांग ली थी। लड़की के पिता ने शिकायत नहीं की इसलिए कार्रवाई नहीं की गई। प्रश्न यह है कि जो पुलिस सड़क पर हंगामा करने वाले के खिलाफ धारा 151 के तहत कार्रवाई कर उसे गिरफ्तार कर लेती है तो फिर मासूम लड़कियों पर बलात्कार की कोशिश करने वाले को शिकायत के अभाव में खुला क्यों छोड़ दिया गया। उसके मोबाइल में पोर्न मूवी डाउनलोड थी। उसके खिलाफ साइबर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जा सकता था। ऐसे लोग मानसिक विकृति के शिकार होते हैं। इनके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई अनिवार्य है। यदि पुलिस संवेदनशीलता का परिचय देती तो शायद आरोपी की हिम्मत इतनी नहीं होती।