भोपाल। मध्य प्रदेश के जिला छिंदवाड़ा में एक राजस्व अधिकारी ने आत्महत्या कर ली। डॉक्टर का कहना है कि जहरीले पदार्थ के कारण उनकी मौत हुई है। भरत अधिकारी की बहन ने कलेक्टर छिंदवाड़ा पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है।
मिली जानकारी के अनुसार भू-अभिलेख विभाग के सहायक भू-अभिलेख अधिकारी प्रवीण मरावी ने अपने घर पर जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया था। गंभीर हालत में उन्हें एक निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां कल रात उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी। बता दें कि प्रवीण मरावी को कलेक्टर छिंदवाड़ा डॉक्टर श्रीनिवास शर्मा ने सस्पेंड कर दिया था। निलंबन का कारण बिना सूचना कार्यस्थल पर अनुपस्थिति बताया गया था।
मृतक की बहन का आरोप
मिली जानकारी के अनुसार मृतक की बहन का आरोप है कि, कलेक्टर डॉक्टर श्री निवास शर्मा एक फर्जी नियुक्ति के लिए भाई (प्रवीण मरावी) पर दबाव बना रहे थे। फर्जी नियुक्ति करने से भाई ने मना कर दिया, जिसके चलते कलेक्टर प्रवीण मरावी को प्रताड़ित करने लगे थे और इसी के चलते उन्हें निलंबित किया गया था।
कमलनाथ बताएं अधिकारी की आत्महत्या के लिए कौन जिम्मेदार: राकेश सिंह
भोपाल। छिंदवाड़ा में एक अधिकारी को सिर्फ इसलिए आत्महत्या करनी पड़ती है कि आपका कलेक्टर उसके ऊपर फर्जी नियुक्ति के लिए दबाव डालता है। इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति और कुछ नहीं हो सकती। मुख्यमंत्री कमलनाथ को प्रदेश की जनता को जवाब देना चाहिए कि आत्महत्या के हालात पैदा करने के लिए यदि आप जिम्मेदार नहीं हैं, तो फिर आप तीन मुख्यमंत्रियों में से कौन इसके लिए जिम्मेदार है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री राकेश सिंह ने शुक्रवार को मीडिया से चर्चा करते हुए कही।
क्या यही है छिंदवाड़ा का विकास मॉडल?
प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि आजकल बात-बात में छिंदवाड़ा के विकास मॉडल की चर्चा की जाती है। क्या है छिंदवाड़ा का विकास मॉडल ? छिंदवाड़ा में पदस्थ अधिकारी प्रवीण मरावी जो अनुसूचित जनजाति से आते हैं, ने गुरुवार को आत्महत्या कर ली। उनके परिजनों का कहना है कि कलेक्टर उन पर एक अनुचित नियुक्ति के लिए दबाव बना रहे थे। जब मरावी ने इसके लिए असमर्थता जताई, तो उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। बार-बार नियुक्ति के लिए दबाव डाले जाने से परेशान अधिकारी प्रवीण मरावी ने गुरुवार को आत्महत्या कर ली। उनकी बहन और परिजन चीख-चीखकर इसके लिए कलेक्टर को जिम्मेदार बता रहे हैं। वहीं, छिंदवाड़ा मुख्यमंत्री का गृह जिला है, इसलिए इस संदेह का पर्याप्त आधार है कि कलेक्टर को मुख्यमंत्री से ऐसे निर्देश मिले हों। इसलिए आज प्रदेश की जनता यह जानना चाहती है कि आप बात-बात पर जिस छिंदवाड़ा मॉडल की बात करते हैं, क्या हो रहा है वहां पर? वहां कानून व्यवस्था की क्या हालत है?