भोपाल। माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है ‘तिल चौथ’ का त्योहार (Festival of 'Til Chauth')। इस बार 28 जनवरी 2017 को यह व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को वक्रतुण्डी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ (Vakratundi Chaturthi, Tilakuta Chauth) भी कहा जाता है।
भारत में इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को माताएं अपनी संतान की खुशहाली के लिए करती हैं। क्यों रखा जाता है व्रत: शास्त्रों की मानें तो इस व्रत के बारे में भगवान गणेश ने मां पार्वती को बताया था। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से विग्नहर्ता सभी विघ्न बाधाओं का नाश करते हैं और भगवान श्री गणेश संतान को सभी कष्टों से बचाते हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। महिलाएं पूरे दिन र्जला व्रत रखती हैं।
भारत में इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को माताएं अपनी संतान की खुशहाली के लिए करती हैं। क्यों रखा जाता है व्रत: शास्त्रों की मानें तो इस व्रत के बारे में भगवान गणेश ने मां पार्वती को बताया था। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से विग्नहर्ता सभी विघ्न बाधाओं का नाश करते हैं और भगवान श्री गणेश संतान को सभी कष्टों से बचाते हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। महिलाएं पूरे दिन र्जला व्रत रखती हैं।
तिल चौथ / वक्रतुण्डी चतुर्थी / तिलकुटा चौथ व्रत विधि - Vakratundi Chaturthi, Tilakuta Chauth, Til Chauth
सुबह सूर्योदय से पहले गुड़, तिल, गन्ने और मूली से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती है और पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं। इस दिन पूरे दिन व्रत रखा जाता है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत पूर्ण होता है। इस दिन सकट माता की भी पूजा की जाती है। पूजा की जगह इनका चित्र बनाया जाता है। इस दिन गुड़ और तिल से बने लड्डू भगवान गणेश को चढ़ाए जाते हैं इसके साथ उन्हें दुर्वा भी अर्पित की जाती है। इस पूरे दिन महिलाएं निर्जला होकर व्रत रखती हैं।
‘ऊँ गं गणपतये नम:’’
‘‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:,
निर्विघ्नं कुरूमें देव सर्व कार्येषु सर्वदा।’’