ग्वालियर। जिला प्रशासन और डाॅक्टराें के बीच चले आ रहे विवाद का परिणाम शुक्रवार काे बसंत विहार स्थित डाॅ. एएस भल्ला के सहारा अस्पताल पर दाेपहर में नगर निगम और जिला प्रशासन द्वारा कराई गई तुड़ाई के रूप में सामने आया। प्रशासन ने यहां अवैध निर्माण काे हटाने की बात कहते हुए अस्पताल के अगले हिस्से की ताेड़फाेड़ की। इस बीच काेर्ट का स्टे आ जाने से कार्रवाई राेक दी गई पर दाेपहर बाद अमला फिर माैके पर जा पहुंचा। वहीं शाम काे अस्पताल का पंजीयन निरस्त करने का नाेटिस जारी कर दिया।
इससे पहले अस्पताल में भर्ती 15 मरीजाें काे जेएएच आैर अन्य जगह शिफ्ट कराया। इसके बाद देर शाम डाॅ. भल्ला की पत्नी मंजीत भल्ला के खिलाफ महाराजपुरा थाना क्षेत्र में अवैध काॅलाेनी काटने के मामले में नगर निगम ने केस दर्ज कराया। इस बीच कोर्ट का स्टे आ जाने से कार्रवाई रोक दी गई पर दोपहर बाद अमला फिर मौके पर जा पहुंचा। वहीं शाम को अस्पताल का पंजीयन निरस्त करने का नोटिस जारी कर दिया। इससे पहले अस्पताल में भर्ती 15 मरीजों को जेएएचऔर अन्य जगह शिफ्ट कराया। इसके बाद देर शाम डॉ. भल्ला की पत्नी मंजीत भल्ला के खिलाफ महाराजपुरा थाना क्षेत्र में अवैध कॉलोनी काटने के मामले में नगर निगम ने केस दर्ज कराया।
दरअसल, सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को अच्छा इलाज उपलब्ध कराने के लिए प्रशासनिक अफसरों ने रोजाना निरीक्षण शुरू कर दिया। इससे डॉक्टरों में नाराजगी दिखाई दी। अफसरों के निरीक्षण को अधिकारों में दखल मानते हुए 20 अप्रैल को जीआरएमएसी के फीजियोलॉजी लेक्चर थियेटर में डॉक्टरों ने एक मीटिंग कर तय किया कि वे अब आईएएस, आईपीएस और मंत्री-विधायकों के दबाव में काम नहीं करेंगे। वे न तो इन्हें अपने कार्यक्रमों में बुलाएंगे और न ही इन्हें सर कहकर संबोधित करेंगे।
अफसरों के निरीक्षण के दौरान भी वे साथ नहीं देंगे बल्कि ऐसे मौके पर वे बाहर खड़े हो जाएंगे। इस बैठक में सहारा हॉस्पिटल के संचालक डा. एएस भल्ला ने कहा था कि पूरा प्रदेश ब्यूरोक्रेटिक एक्टिज्म के साये में है। ब्यूरोक्रेट कभी भी जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में चले जाते हैं। ये उनके लिए प्रयोग का मैदान बन गया है। इसके बाद क्षेत्र के एसडीएम अनिल बनवारिया ने सहारा अस्पताल का निरीक्षण कर अवैध निर्माण के संबंध में नोटिस जारी किया था। उसका जवाब न देने के बाद प्रशासनिक अमला कार्रवाई के लिए पहुंचा।
डॉ, प्रभारी सीएमएचओ मनोज कौरव ने कहा कि टीम द्वारा किए गए निरीक्षण में सहारा अस्पताल में कोई डॉक्टर और स्टाफ मौके पर नहीं पाया गया। अस्पताल का काफी हिस्सा क्षतिग्रस्त था, जो कि किसी भी स्थिति में मरीजों के इलाज हेतु उपयुक्त नहीं पाया गया। वहां रेट लिस्ट चस्पा नहीं थी और मरीजों के इलाज के लिए जीवनरक्षक उपकरण नहीं पाए गए। इस आधार पर पंजीयन निरस्त किया गया है।
डॉ.एएस भल्ला की पत्नी मंजीत भल्ला के नाम पर महाराजपुरा के खेरिया मिर्धा में जमीन है, जिस पर वे नगर निगम से अनुमति लिए बगैर कॉलोनी विकसित करा रही हैं। नगर निगम के सब इंजीनियर बृजकिशोर त्यागी के मुताबिक इस मामले में 10 दिन पहले टीएंडसीपी ने उन्हें काम बंद करने का नोटिस दिया था। काम न रोकने पर महाराजपुरा थाने में आज केस दर्ज कराया गया है।