हैदराबाद रेप के आरोपियों का एनकाउंटर करने वाले पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज करें: हाई कोर्ट

Bhopal Samachar
हैदराबाद। तेलंगाना हाई कोर्ट ने पुलिस को आदेशित किया है कि हैदराबाद रेप और मर्डर केस के आरोपियों का एनकाउंटर करने वाले पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि आत्मरक्षा के नाम पर एनकाउंटर करने वाले पुलिस कर्मचारियों को केवल मजिस्ट्रियल जांच के आधार पर निर्दोष नहीं माना जा सकता उन्हें मुकदमे का सामना करना होगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के आदेश दिए हैं। देशभर में किसी भी प्रकार की एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज होगी और उन्हें भी मुकदमे का सामना करना होगा।

सिर्फ औपचारिकता के लिए मामला दर्ज नहीं होना चाहिए

पुलिस एनकाउंटर (Hyderabad encounter) के खिलाफ दायर पीआईएल की सुनवाई के दौरान तेलंगाना हाईकोर्ट (Telangana High Court) के मुख्य न्यायाधीश ने एडवोकेट जनरल से पूछा कि एनकाउंटर में शामिल पुलिसवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है या नहीं? अदालत ने पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टी (PUCL) विरुद्ध महाराष्ट्र राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। जवाब में एडवोकेट जनरल ने बताया कि एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन पुलिसकर्मियों को एफआईआर में नामजद नहीं किया गया है। इस पर आपत्ति जाहिर करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सिर्फ औपचारिकता के लिए एफआईआर दर्ज नहीं होनी चाहिए। अदालत ने साफ कर दिया कि पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टी विरुद्ध महाराष्ट्र राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन किया जाना चाहिए।

एनकाउंटर में किसी की भी मौत हो, पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज करना होगा

हाल ही में रिटायर हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने इसी साल जुलाई में अपने एक फैसले में साफ किया था कि पुलिस एनकाउंटर में अगर किसी इंसान की जान जाती है, तो एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी होगी और पुलिसवालों को मुकदमे का सामना करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट की 5 जजों की बेंच के एक 10 साल पुराने फैसले को सही बताते हुए यह आदेश दिया था। 2006 में 8 नक्सलियों को एनकाउंटर में मार गिराने के एक मामले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि आत्मरक्षा का हवाला देकर पुलिस खुद को कानून से बचा नहीं सकती और सिर्फ मजिस्ट्रेट जांच को पूरा मुकदमा नहीं माना जा सकता। एनकाउंटर में शामिल पुलिसवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और उन्हें मुकदमे का सामना करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को सही माना और कहा कि पीयूसीएल विरुद्ध महाराष्ट्र राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश सभी पर लागू होंगे।

अगली सुनवाई 12 दिसंबर को

तेलंगाना हाईकोर्ट में शादनगर एनकाउंटर मामले की सुनवाई 12 दिसंबर तक के लिए टाल दी गई है, लेकिन अदालत के रुख से लगता है कि साइबराबाद पुलिस को एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी पड़ सकती है। अदालत में एडवोकेट जनरल ने दलील दी कि शादनगर एनकाउंटर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल विचाराधीन हैं और अदालत ने सुनवाई के लिए 11 दिसंबर की तारीख तय की है। हाईकोर्ट ने इस दलील को मानते हुए अगली सुनवाई 12 दिसंबर को करने और एनकाउंटर में मारे गए चारों नौजवानों के शव 13 दिसंबर तक सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। अदालत ने साथ में यह भी कहा कि अगर महबूबनगर जिला अस्पताल में शवों को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो, तो उन्हें एयरकंडीशंड एंबुलेंस में सावधानी से रखकर हैदराबाद में गांधी हॉस्पिटल लाया जाए और फ्रीजर में सुरक्षित रखा जाए।

पुलिस ने एनकाउंटर करने वाले अधिकारियों के नाम जाहिर नहीं किए

खास बात यह है कि शादनगर एनकाउंटर मामले में अब तक साइबराबाद पुलिस ने उन पुलिसकर्मियों के नाम जाहिर नहीं किए हैं, जो एनकाउंटर में शामिल थे। पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार ने सिर्फ उन दो पुलिसवालों का नाम सार्वजनिक किये हैं, जो कथित तौर पर एनकाउंटर के दौरान पत्थर और लाठी लगने से जख्मी हो गए थे। उनमें से एक सब इंस्पेक्टर वेंकटेश्वरलू और दूसरे सिपाही अरविंद गौड़ हैं।

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