मिलावट और राजनीतिक जमावट | EDITORIAL by Rakesh Dubey

भोपाल। भोपाल के लिए ये अजूबा था, मिलावट की जिस समस्या से भोपाल का हर ख़ास और आम परेशान है उससे युद्ध करने को हजारों लोग सडक पर उतर आये थे। सब कुछ एक दम शांति से और पूर्ण व्यवस्थित। शुद्ध के लिए इस युद्ध का बीड़ा उठाया मध्यप्रदेश सरकार के चिकित्सा मंत्री तुलसी सिलावट ने। इससे भोपाल ही नहीं प्रदेश की “मिलावट” और भोपाल की “राजनीतिक जमावट” दोनों हिल गई। जिस दिन पूरे प्रदेश में “शुद्ध के लिए युद्ध” के मोर्चे जम गए तो नजारा बदल जायेगा।

दूध, दही, घी , मसाले और आटा दाल में मिलावट के किस्से जग जाहिर है। कभी –कभी मिलावटीये पकड़े जाते हैं, अधिकाँश बार पकड़े नहीं जाते और कभी-कभार पकड़े गये मिलावटखोर हर बार छूट जाते है और फिर तेजी से मिलावट में लग जाते हैं। भोपाल में ये गोरखधन्धा बरसों से चल रहा है। बाबुओं के शहर में पहली बार लोग जागे हैं, वास्तव में इसके लिए सरकार के मंत्री तुलसी सिलावट साधुवाद के पात्र है। 15 दिसम्बर को अच्छी ठंड के बावजूद 30-40 हजार लोगों के जमावड़े के लिए उन्होंने कितनी मेहनत की होगी। सरकारी बाबू, अफसर, अध्यापक, स्कूली बच्चों के साथ शहर की नामचीन हस्तियों जैसे पूर्व मुख्य सचिव श्रीमती निर्मला बुच, पद्मश्री डॉ ज्ञान चतुर्वेदी, पद्म श्री मीररंजन नेगी, के साथ भोपाल के वो निवासी भी खड़े थे जो रोज मिलावट को भोगते हैं और चुप रह जाते हैं। आवाज कौन उठाये, इसकी बानगी भी इस यात्रा ने आज पूरे भोपाल को बता दी। जिस न्यू मार्केट में यह आयोजन हुआ आयोजन स्थल के एक दम नजदीक हने वाले पूर्व मंत्री और पूर्व महापौर, दूसरे पूर्व महापौर और वर्तमान महापौर पूरे आयोजन से ऐसे दूर थे जैसे उनको सब कुछ शुद्ध मिलता है या उनकी सहानुभूति जनता से कम और दूसरी तरफ ज्यादा है।

भीड़ में वे लोग भी दिखाई दिए जिन पर हमेशा मिलावट का संदेह किया जाता है। व्यापारी संघों के प्रतिनिधि शामिल थे और उनके चेहरे पर वही भाव था जो वे अपने संस्थान में लिख कर प्रदर्शित करते हैं। हम सब ने वो तख्तियां देखी हैं जिन पर साफ़-साफ़ लिखा होता है “हम विक्रेता हैं, निर्माता नहीं “ । व्यापरियों ने बहुत ही सधे स्वर में अपना दर्द बयाँ किया। सेम्पल हमारी दुकान से लेते हैं जिम्मेदारी हमारे सर पर होती है। हम तो किसी और से माल लेते हैं। नाम जाहिर न करने के वादे को निभाते हुए उनके दर्द का परिचय – ये डेयरी के संचालक है और विदिशा की एक नवोदित नामचीन डेयरी से दूध लेकर बेचते हैं, उत्पाद बनाकर। साल भर पहले तक तो किसी की हिम्मत इनका सेम्पल लेने की नहीं थी अब पता नहीं किन कारणों से हर पखवाड़े सेम्पल ।

स्कूल जहाँ सबसे कम मिलावट की सम्भावना है वो है स्कूल, स्कूल के बच्चों की भागीदारी आयोजन में सबसे अधिक थी। वैसे भी सरकार के सारे अभियान बच्चों की भागीदारी के बिना कहाँ पूरे होते हैं। जागना जिसे चाहिए वो तो सोई हुई है, वो है भोपाल की नागरिक चेतना। आज साँची अर्थात भोपाल दुग्ध सहकारी संघ के टैकर में मिलावट की खबर है। इस दूध में यूरिया मिलाया जाने का संदेह, पकड़ने वालों को है और दिन ये जाँचकर्ता एजेंसी कहाँ रहती है ? किसी को मालूम है, फील्ड में रहती है पर जांच दिखाती नहीं छिपाती है। एक बड़े अफसर ने बड़े चुटीले अंदाज में स्वीकारा – हम तो सरकारी आदमी है सरकार जैसा कहेगी करते आ रहे हैं और करते रहेंगे। सरकार कहेगी तो पकड़ेंगे सरकार कहेगी तो छोड़ देंगे।

तो साफ़ हो गया “शुद्ध के लिए युद्ध” सरकारी चेतना का पर्याय है। पूरे प्रदेश में चले यही शुभकामना। फिलहाल सिलावट ने मिलावट और राजनीतिक जमावट दोनों को हिला दिया है, इसके लिए फिर से साधुवाद।
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !