भारत में शिक्षक अब सिर्फ कक्षा में पढ़ाएंगे, न चुनाव ड्यूटी, न प्रतिनियुक्ति | SHIKSHA VIBHAG SAMACHAR

नई दिल्ली। भारत के सभी शिक्षकों की एक बड़ी मांग पूरी होने जा रही है। शिक्षक वर्ग के कर्मचारी अब केवल शैक्षणिक गतिविधियों में ही पूरा समय देंगे। मिड डे मील, चुनाव ड्यूटी, जनगणना या प्रतिनियुक्ति ऐसा कोई भी कार्य शिक्षकों से नहीं कराए जाएंगे। पीएम नरेंद्र मोदी सरकार ने ड्राफ्ट तैयार कर दिया है। आधिकारिक आदेश जारी होते ही सारे देश में इसका पालन किया जाएगा। बता दें कि भारत में 10 लाख शिक्षकों की कमी है। बावजूद इसके 2 लाख से ज्यादा शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर है। इसके अलावा शिक्षकों को कई प्रकार की अस्थाई ड्यूटिया लगाई जा रही है। इसके कारण शिक्षा का स्तर प्रभावित हो रहा है।

शिक्षक गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से दूर रहेंगे

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के अपने अंतिम मसौदे में स्कूली शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से पूरी तरह से अलग करने का सुझाव दिया है। साथ ही उम्मीद जताई है, कि इससे स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार भी दिखेगा।

शिक्षक मिड- डे मील की जिम्मेदारी से मुक्त होंगे

प्रस्तावित नई शिक्षा नीति तैयार करने वाली कमेटी ने अपने प्रारम्भिक मसौदे में भी शिक्षकों को मिड-डे मील की जिम्मेदारी से अलग रखने का सुझाव दिया गया था। हालांकि इसे मंत्रालय ने अब और सख्त बताते हुए इनमें मिड-डे मील के साथ ही सभी गैर-शैक्षणिक कार्यो से उन्हें मुक्त रखने का सुझाव दिया है। यह कदम इसलिए भी अहम है, क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की पहले से ही भारी कमी है।

देश भर के स्कूलों में दस लाख पद खाली हैं

एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर के स्कूलों में कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले करीब दस लाख पद खाली पड़े है। यही वजह है कि मंत्रालय ने प्रस्तावित नीति ने इसे प्रमुखता से जगह दी है। प्रस्तावित नीति के जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किए जाने की तैयारी है।

शिक्षकों को बीएलओ जैसी जिम्मेदारी से मुक्त करने का सुझाव

स्कूली शिक्षकों को चुनावी कार्य सहित दूसरे गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने का सुझाव इससे पहले नीति आयोग ने भी दिया था। हालांकि दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने इस पर गंभीरता दिखाई और शिक्षकों को बीएलओ (बूथ लेवल आफीसर) जैसी जिम्मेदारी से अलग किया है। बावजूद इसके ज्यादातर राज्यों में अभी भी शिक्षकों को लंबे चलने वाले चुनाव कार्यो से जोड़कर रखा गया है। पिछले दिनों नीति आयोग ने राज्यों से ऐसे शिक्षकों को ब्यौरा मांगा था। साथ ही प्रत्येक जिलों से पूछा था कि क्या वह शिक्षकों के अलावा और किसी को भी चुनावी कार्यो की जिम्मेदारी दे सकता है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !