भोपाल। मध्यप्रदेश में एक के बाद एक दनादन मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। जब हड़ताल होती है तो डॉक्टरों का हुजूम दिखाई देता है लेकिन वही डॉक्टर अस्पताल में ड्यूटी देते नजर नहीं आते। मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं कितनी बदतर हालत में पहुंच गई है इसका एक बड़ा प्रमाण सामने आया है। श्योपुर जिला अस्पताल में स्थानीय विधायक को अपनी बेटी के प्रसव के लिए भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाए। दर्द से तड़पती बेटी को लेकर विधायक 5 घंटे सरकारी अस्पताल में यहां-वहां घूमते रहे अंततः निराश होकर उन्होंने एक प्राइवेट अस्पताल में प्रसव पूर्ण कराया।
मामला मध्य प्रदेश के श्योपुर जिला अस्पताल का है और पीड़ित का नाम है 'विजयपुर से बीजेपी विधायक सीताराम आदिवासी"। वह अपनी गर्भवती बेटी को लेकर सुबह करीब 10:30 बजे अस्पताल पहुंचे। 35 मिनट इंतजार करने के बाद महिला डॉक्टर आई और सोनोग्राफी के लिए लिखा। प्रसव पीड़ा से तड़प रही बेटी की सोनोग्राफी कराने के लिए विधायक को सिविल सर्जन तक दौड़-धूप करनी पड़ी। सोनोग्राफी के बाद महिला डॉक्टर ने बताया कि सामान्य प्रसव नहीं हो सकता ऑपरेशन करना पड़ेगा।
विधायक प्रसव से तड़प रही अपनी बेटी को लेकर ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैठ गए। लंबे इंतजार के बाद उन्हें बताया गया कि एनेस्थीसिया देने वाले डॉक्टर उपलब्ध नहीं है इसलिए सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन नहीं हो सकता। बता दें कि इस अस्पताल में कुल 3 एनएसथीसिया डॉक्टर हैं। इनमें से दो को सिविल सर्जन में छुट्टी दे रखी है और तीसरे को नसबंदी शिविर में भेज दिया। अस्पताल लावारिस था। डॉक्टर ने उनकी बेटी को शिवपुरी मेडिकल के लिए रेफर कर दिया। अब भाजपा विधायक अपनी प्रसव पीड़िता बेटी को लेकर एंबुलेंस का इंतजार करने लगे लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। इस सारी प्रक्रिया में 5 घंटे बीत गए। विधायक यहां वहां मदद मानते घूमते रहे और उनकी बेटी प्रसव पीड़ा से तड़पती रही। अंततः वह अपनी बेटी को एक प्राइवेट अस्पताल में ले गए और प्रसव पूर्ण कराया।