भोपाल। कांग्रेस ने तय किया है कि वह नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ 14 दिसंबर को दिल्ली में हल्ला बोल रैली का आयोजन करेगी। कमलनाथ ने इस आयोजन में अपनी शक्ति प्रदर्शन की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी सिलसिले में गुरुवार को एक मीटिंग का आयोजन किया गया है। मध्य प्रदेश के सभी जिलों को टारगेट दिए जाएंगे। योजना बनाई जा रही है कि दिल्ली की रैली में मध्य प्रदेश की संख्या सबसे ज्यादा हो।
पहले जिला मुख्यालयों पर और फिर दिल्ली में रैली
सीएम कमलनाथ गुरुवार को भोपाल में संगठन की बैठक लेने वाले हैं। इसमें सभी जिला अध्यक्षों और जिला प्रभारियों को बुलाया गया है। इसमें केंद्र सरकार के खिलाफ ज़िला मुख्यालयों में 25 नवंबर को होने वाले धरना-प्रदर्शन और फिर 14 दिसंबर को दिल्ली की रैली की रणनीति तय की जाएगी। बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया मौजूद रहेंगे। कांग्रेस की कोशिश, देश की गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती बेरोज़गारी सहित दूसरे मुद्दों पर बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की है।
जिलों के बाद ब्लॉक और मंडल स्तर पर प्रदर्शन होंगे: बावरिया
कांग्रेस के केंद्र के खिलाफ हल्लाबोल के लिए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने बुधवार को पार्टी दफ्तर में संगठन पदाधिकारियों के साथ बैठक की। जिलों के बाद ब्लॉक और मंडल स्तर पर केंद्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की तैयारी है। पार्टी की कोशिश है कि आम जन से जुड़े मुद्दों को लेकर केंद्र के खिलाफ माहौल बनाया जाए। इसके लिए बीते दिनों दिल्ली में आंदोलन की रणनीति बनायी गयी थी।
कमलनाथ का फोकस जिला मुख्यालय और दिल्ली पर
कांग्रेस का अगला पड़ाव दिल्ली रहेगा। 25 नवंबर के बाद 14 दिसंबर को वो दिल्ली में मोदी सरकार के ख़िलाफ हल्ला बोलेगी। प्लान ये है कि उसमें प्रदेश के हर जिले से कांग्रेस कार्यकर्ता दिल्ली पहुंचें। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के कारण यहां से ज्यादा संख्या में पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं को दिल्ली पहुंचने का टारगेट दिया जाएगा।
कमलनाथ चाहते हैं कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सरकार का प्रचार करें
केंद्र के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन के साथ ही बैठक में जिला अध्यक्षों को ये बताया जाएगा कि वो किस तरह से कांग्रेस सरकार के एक साल के कामकाज को आम जनता तक पहुंचाएं। इसके लिए भी कांग्रेसियों को जिम्मेंदारी सौंपी जाएगी। कांग्रेस की गुरुवार को होने वाली बैठक में पार्टी के सभी छोटे बड़े नेताओं को शामिल होने के लिए कहा गया है। ताकि इसके ज़रिए मोदी सरकार के ख़िलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा किया जा सके।