भोपाल। हनी ट्रैप से जुड़े मानव तस्करी केस में शनिवार को नया मोड़ आ गया। तस्करी की एफआईआर कराने वाले मोनिका यादव के पिता हीरालाल ने मजिस्ट्रेट ज्योति राठौर की कोर्ट के बाहर मीडिया से कहा कि उन्होंने पुलिस के दबाव में एफआईआर कराई। पुलिस ने उनसे जबरदस्ती कागजों पर हस्ताक्षर कराए, जबकि वह पढ़े-लिखे नहीं हैं।
पुलिस पर आरोप लगते ही एसआईटी टीम केस डायरी के साथ कोर्ट पहुंची और हीरालाल पर श्वेता विजय जैन, आरती दयाल आदि आरोपियों के दबाव में बयान देने की बात कही। फिलहाल कोर्ट ने हीरालाल की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने की अर्जी नामंजूर कर दी है।
एसआईटी बोली- श्वेता, आरती बना रही दबाव
एसआईटी ने कोर्ट को बताया कि इंदौर जेल में बंद आरोपी आरती दयाल, श्वेता विजय जैन, श्वेता श्वप्निल जैन आदि मोनिका यादव पर मानव तस्करी का केस वापस लेने का दबाव बना रही हैं। इसी दबाव के चलते हीरालाल अपना पूर्व में दिया बयान बदलते हुए कोर्ट में नया बयान दर्ज कराना चाहते हैं। जबकि इससे पहले हीरालाल ने खुद सीआईडी थाने में बिना किसी दबाव के एफआईआर दर्ज कराई थी। इस संबंध में मोनिका की मां और एक अन्य गवाह ने भी मामले की आरोपियों पर मोनिका को अनैतिक गतिविधियों में जबरिया धकेलने की बात स्वीकार की थी।
अदालत ने अर्जी नामंजूर करते हुए लिखा
मजिस्ट्रेट ज्योति राठौर ने लिखा प्रकरण की वैधानिक स्थिति से साफ है कि धारा 164 के कथन केवल पुलिस अधिकारी द्वारा उपस्थित साक्षी के ही दर्ज कराए जा सकते है। साक्षी हीरालाल यादव स्वयं उपस्थित हुआ है। पुलिस द्वारा उसका कोई न्यायालयीन कथन न कराया जाना व्यक्त किया गया है, ऐसी स्थिति में हीरालाल की ओर से पेश आवेदन निरस्त किया जाता है।
पुलिस बोली थी- बेटी को छोड़ देंगे
मैंने पुलिस के कहने पर मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने उन्हें विश्वास दिलाया कि तुम एफआईआर दर्ज करा दो, तुम्हारी बेटी को हम छोड़ देंगे। पुलिस से मुझे डर लगता है और मेरी जान को खतरा भी बना हुआ है।
हीरालाल यादव, कोर्ट के बाहर
हीरालाल पर दबाव, जांच करेंगे
मोनिका के पिता बयान बदलने वाले थे, इसलिए हमने कोर्ट से उनकी अर्जी नामंजूर करने की अपील की। कोर्ट ने हमारी बात को सुनने के बाद बयान नहीं लिए। आरोपी पक्ष के कुछ लोगों ने हीरालाल पर दबाव बनाया है। हम जांच करेंगे।
शशिकांत चौरसिया, टीआई पलासिया, इंदौर