भोपाल। झाबुआ उपचुनाव में जीत के बाद विधायक कांतिलाल भूरिया का नाम जैसे ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के विकल्प के रूप में चर्चा में आया, भूरिया खुद घबरा गए। वो हर हाल में हिस्सेदारी चाहते हैं। चुनाव में उन्हे डिप्टी सीएम प्रोजेक्ट किया गया था। कांतिलाल इससे कम कुछ नहीं चाहते और इसके लिए उन्होने लॉबिंग भी शुरू कर दी है।
दिग्विजय ने कहा- कमलनाथ करेंगे फैसला
झाबुआ सीट पर जीत के साथ ही कांतिलाल भूरिया की ताजपोशी को लेकर अब कांग्रेस मुश्किल में है। भूरिया को सत्ता या संगठन में जगह देने की मजबूरी पर मंथन तेज हो गया है। उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया को डिप्टी सीएम प्रोजेक्ट करने के बाद कांग्रेस में नवनिर्वाचित विधायक को सत्ता में जगह देने को लेकर चर्चाएं गरम हैं। मंत्री सज्जन सिंह वर्मा द्वारा कांतिलाल भूरिया को पीसीसी चीफ के लिए परफेक्ट बताने के बयान के बाद नेताओं के रिएक्शन तेज हो गये हैंं। मंत्री पीसी शर्मा पार्टी में भूरिया की नई भूमिका को लेकर सीधे तौर पर कुछ भी बोलने से बचते दिखे। तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि इस बारे में फैसला मुख्यमंत्री कमलनाथ को करना है।
कमलनाथ करेंगे फैसला
बहरहाल झाबुआ में जीत हासिल कर कांग्रेस ने संख्या गणित में भले ही मजबूती हासिल कर ली हो लेकिन भूरिया की नई पारी को लेकर कांग्रेस में संकट के हालात जरूर खड़े हो गये हैं। यदि कांग्रेस नेताओं के झाबुआ में दिए गये बयानों पर अमल होता है तो कांतिलाल भूरिया को सत्ता में भागीदार बनाया जाएगा लेकिन यदि सिंधिया और दूसरे नेताओं की पीसीसी चीफ को लेकर की जा रही दावेदारी को कमजोर किया जाना है तो भूरिया को प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व की जिम्मेदारी दी जा सकती है लेकिन कांग्रेस के इस सीनियर लीडर की नई भूमिका को लेकर अब गेंद मुख्यमंत्री कमलनाथ के पाले में है और उम्मीद इसको लेकर है कि 31 अक्टूबर को विधानसभा में विधायक पद की सदस्यता के बाद पार्टी इस मामले को लेकर कोई बड़ा फैसला जरूर ले लेगी।